राष्ट्रीय/ हरिद्वार, 07 मई। भारत के प्राचीन गौरवमयी ज्ञान परम्परा के संरक्षण के लिए संकल्पित सर्वश्रेष्ठ शोध संस्थान पतंजलि विश्वविद्यालय व पतंजलि रिसर्च फाउण्डेशन (पीआरएफ) एवं भारतीय ज्ञान प्रणाली प्रभाग (IKS Division), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के मध्य परस्पर सहयोग एवं शैक्षणिक समन्वय हेतु एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर हुए। समझौता ज्ञापन पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण तथा भारतीय ज्ञान प्रणाली की कार्यान्वयन समिति व NAAC कार्यकारी समिति के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धि ने हस्ताक्षर किए।

कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उक्त एमओयू के माध्यम से आईकेएस प्रभाग के अंतर्गत विविध विषयों पर अनुसंधान, प्रशिक्षण, कार्यशाला व सम्मेलन आदि के आयोजन हेतु पतंजलि विश्वविद्यालय को आईकेएस केंद्र के रूप में मान्यता दी जा सकेगी। साथ ही पतंजलि विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध शोध संस्थान पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली पर किए जा रहे विद्वत्तापूर्ण कार्यों के प्रकाशन और प्रसार के लिए एक संयुक्त परियोजना भी प्रारंभ की जा सकेगी।
आचार्य जी ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय और पीआरएफटी इस कार्य के निष्पादन में अपनी वैज्ञानिक जनशक्ति का प्रयोग करेंगे। आईकेएस प्रभाग भारतीय इतिहास को समर्पित एक संग्रहालय की स्थापना पर पतंजलि विश्वविद्यालय, आईकेएस केंद्र के साथ मिलकर काम करेगा, जिसमें न केवल पुरातात्विक कलाकृतियाँ शामिल होंगी, बल्कि ऐतिहासिक ज्ञान, वैज्ञानिक साक्ष्य और भारतीय ज्ञान प्रणाली का व्यापक प्रतिनिधित्व भी होगा। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन ज्ञान और ज्ञान के दस्तावेजीकरण और संरक्षण पर आईकेएस प्रभाग की परियोजनाओं में सहयोग करेगा, जिसमें अनुष्ठान, संगीत, पांडुलिपियां, प्राचीन सभ्यता, सामाजिक-आर्थिक पहलू, भाषाएं, चिकित्सा और उपचार पद्धतियां, शासन पद्धतियां, रक्षा प्रणाली, प्राकृतिक आपदाओं- बाढ़, सूखा आदि से निपटने के लिए स्वदेशी तरीके शामिल हैं। साथ ही आईकेएस प्रभाग के सहयोग से पतंजलि विश्वविद्यालय और पीआरएफटी द्वारा किए जा रहे शोध से संबंधित दस्तावेजीकरण, पांडुलिपियां, कला से संबंधित पुरातात्विक साक्ष्य, वस्तुएं और अन्य ऐतिहासिक साक्ष्यों को संरक्षित किया जाएगा। पतंजलि विश्वविद्यालय आईकेएस प्रभाग से पूर्व सहमति और अनुमोदन के साथ भारतीय ज्ञान प्रणाली के आधार पर ऑनलाइन प्रमाणन पाठ्यक्रम या व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी विकसित करेगा।
इस अवसर पर प्रो. सहस्त्रबुद्धि ने कहा कि आईकेएस प्रभाग इतिहास, भारतीय दर्शन आदि के अनुशासन के भीतर भारतीय ज्ञान प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित अनुसंधान में पतंजलि विश्वविद्यालय के साथ सहयोग करेगा। उन्होंने बताया कि आईकेएस प्रभाग पतंजलि विश्वविद्यालय के साथ मिलकर इतिहास-केंद्रित वैज्ञानिक प्रयोगशाला विकसित करेगा, जिसमें भारतीय दर्शन, इतिहास और ज्ञान प्रणालियों के मूलभूत सिद्धांतों का पता लगाने और उनकी व्याख्या करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करेगा। साथ ही आईकेएस प्रभाग शोध कार्यों के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त करने हेतु अन्य मंत्रालयों के साथ संपर्क में मदद करेगा।
कार्यक्रम में आईकेएस. प्रभाग के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. जी. सूर्यनारायण मूर्ति, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति डॉ. मयंक अग्रवाल, पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्या व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *