हरिद्वार –  खड़खड़ी हरिद्वार स्थित विद्युत शवदाहगृह के संचालन के संबंध में जिलाधिकारी श्री विनय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में   एक बैठक आहूत की गई l
 बैठक में सेवा समिति के अध्यक्ष श्री राजकुमार गुप्ता द्वारा बताया गया कि लोगो द्वारा अपने परिजनों का अंतिम संस्कार विद्युत शवदाहगृह में नही किया जाता है अधिकांशतः लावारिसलाशों हेतु ही विद्युत शवदाहगृह का प्रयोग किया जाता रहा है।
लोक निर्माण विभाग विद्युत एवं यांत्रिक, ऋषिकेश के अधिशासी अभियन्ता द्वारा अवगत कराया गया कि विद्युत शवदाहगृह के जीर्णोद्वार में 142.74 लाख रूपये व्यय होंगें यदि गैस आधारित शवदाहगृह का निर्माण किया जाता है तो उसमें 123.47 लाख रूपये व्ययानुमान है।
नगर आयुक्त द्वारा अवगत कराया गया कि विद्युत शवदाहगृह के संचालन में विद्युत बिलों का भुगतान भी बडी समस्या है। किसी भी शव के दाह संस्कार से 24 घन्टे पूर्व शवदाहगृह को चालू किया जाना आवश्यक होता है, जिसमें बहुत अधिक विद्युत खपत होती है। अध्यक्ष, सेवासमिति द्वारा अवगत कराया गया कि खडखडी स्थित शमशान घाट में डीजल व लकडी आधारित तकनीकी से भी शवों का दहन किया जाता है। अधिशासी अभियन्ता द्वारा कहा गया कि तकनीक में परिवर्तन कर डीजल के स्थान पर गैस का प्रयोग किया जा सकता है।
विचार-विमर्श के उपरान्त जिलाधिकारी  ने  कहा कि चूंकि विद्युत शवदाहगृह में लोगों द्वारा अपने परिजनों के शवों का अंतिम संस्कार किये जाने से परहेज किया जाता है तथा विद्युत शवदाहगृह के जीर्णोद्वार में बहुत अधिक धनराशि व्यय होगी, जबकि उससे कम लागत में गैस तकनीक आधारित शवदाहगृह का निर्माण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त विद्युत शवदाहगृह को 24 घन्टे चालू रखने में बहुत अधिक विद्युत खपत होती है l अतः विद्युत शवदाहगृह का जीर्णोद्वार न करते हुए गैस आधारित शवदाहगृह का निर्माण किया जाना चाहिये, जिसे पहले लगे हुए डीजल आधारित शवदाहगृह को परिवर्तित किये जाने हेतु उपस्थित अभियन्ताओं को संयुक्त निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये गये
जिलाधिकारी ने सभी शमशान घाटों का सौन्दर्यकरण आदि कराये जाने के निर्देश भी नगर आयुक्त, नगर निगम, हरिद्वार को दिये गये ।
 इस अवसर पर  नगर आयुक्त श्री दयानंद सरस्वती, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डा अजीत सिंह, 

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