हरिद्वार
प्रभारी खान अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि 24 जून को उपजिलाधिकारी, हरिद्वार के द्वारा चण्डीपुल के डाउनस्ट्रीम में रिवर ड्रेजिंग के सम्बन्ध में समाचार पत्र में विज्ञप्ति प्रकाशित की गयी है। विज्ञप्ति प्रकाशन के उपरान्त यह देखा जा रहा है कि आम जनमानस के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
चण्डीपुल के डाउनस्ट्रीम में रिवर ड्रेजिंग के सम्बन्ध में भूतत्व एवम खनिकर्म विभाग द्वारा फेल रही भ्रांतियों पर स्पष्ट किया कि रिवर ड्रेजिंग का कार्य, खनन कार्य न होकर उत्तराखण्ड रिवर ड्रेजिंग नीति के प्राविधानों के तहत ऐसे क्षेत्र जहां नदी, गदेरों, जलाशय, नहर के द्वारा मलवा, आर०बी०एम०, सिल्ट अत्यधिक मात्रा में निक्षेपित या जमा हो गया है तथा जिसके जमा होने से नदी के तट कटाव एवं जान-माल एव आबादी को क्षति होने की संभावना रहती है, को चिन्हित कर आपदा प्रबन्धन अधिनियम, 2005 में प्रदत्त अधिकारों के अन्तर्गत जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति की संस्तुति के उपरान्त मलवा,आर०बी०एम०, सिल्ट को निस्तारित किया जाना है।
यह भी बताया कि विगत वर्षों में गंगा जी का जलस्तर बढ़ने से तहसील हरिद्वार के कांगड़ी, बैरागी कैम्प, जगजीतपुर, बिशनपुर, लक्सर में खानपुर आदि क्षेत्र में नदी के किनारे बसे गांवों में अत्यधिक जान-माल की क्षति हुई।
प्रतिवर्ष सिंचाई विभाग व अन्य विभागों द्वारा भी गगा जी में जलस्तर बढ़ने से आबादी, कृषि भूमि के क्षति के मध्यनजर रोकथाम एवं बचाव के कार्य कराये जाते रहे हैं। गत वर्ष में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में वर्ष 2023-24 में राज्य आपदा मोचन निधि के अन्तर्गत विभिन्न मदों में रू0 52,77,84,992/- की धनराशि का व्यय किया गया है। गंगा जी के किनारे कई स्थानों पर यह देखा गया है कि नदी के बीच में या एक तरफ अत्यधिक मलवा/आर०बी०एम०/सिल्ट निक्षेपित होने से गंगा जी का जलप्रवाह चैनल के एक तरफ अर्थात् आबादी क्षेत्र की ओर हो गया है, जिस कारण गंगा जी के किनारे बसे ग्रामों में वर्तमान मानसून सत्र में बाढ़ की स्थिति पैदा होने की प्रबल संभावना है। गंगा जी में जलस्तर बढ़ने की स्थिति से होने वाले नुकसान से बचाव हेतु उत्तराखण्ड रिवर ड्रेजिंग नीति के प्राविधानानुसार गंगा जी की सफाई कर नदी के जलप्रवाह को मध्य में
केन्द्रित किया जाना है।
रिवर ड्रेजिंग के सम्बन्ध में मुख्य स्थायी अधिवक्ता, मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड नैनीताल के द्वारा अपने पत्र में रिवर ड्रेजिंग कार्य में कोई विधिक अड़चन न होने के सम्बन्ध में अवगत कराया गया है। ऐसी स्थिति में बाढ़ संभावित क्षेत्रों में गंगा जी में निक्षेपित मलवा,आर०बी०एम०, सिल्ट को हटाया जाना आवश्यक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *