हरिद्वार, 24 मार्च। श्यामपुर कांगड़ी स्थित बाबा वीरभद्र सेवाश्रम न्यास के परमाध्यक्ष जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी फरसे वाले बाबा महाराज ने भक्तों के साथ फूलों की होली खेली और सभी को शुभकामनाएं दी। स्वामी गर्व गिरी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति पर्वो की संस्कृति है। प्रत्येक पर्व समाज को सकारात्मक संदेश प्रदान करता है। रंगों का पर्व होली बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति का संदेश देता है। स्वामी गर्व गिरी महाराज ने कहा कि हरि भक्त प्रहलाद की भगवान के प्रति अटूट आस्था थी। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप नारायण उनकी भक्ति भावना का विरोध करते थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए। लेकिन नारायण की कृपा से प्रह्लाद हमेशा बच गए। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था। फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका प्रह्लाद को लेकर जलती हुई अग्नि में बैठ गयी। लेकिन भगवान नारायण की कृपा से प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ और अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त होलिका जलकर राख हो गयी। भक्त प्रहलाद के बच जाने की खुशी में सभी ने एक दूसरे को रंग लगाए और खुशीया मनायी। तभी से होली मनाने की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि सभी देशवासी प्रेम और भाईचारे के साथ होली मनाएं। होली मनाते समय मर्यादा का पालन करे और दूसरों को भी अपनी खुशीयों में शामिल करें।

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