श्री संत रविदास जी की जयंती माघी पूर्णिमा पर विशेष लेख (दिनांक 05 फरवरी 2023)
महर्षि अत्रि ने कहा कि जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते।
संत रविदास जी महाराज समाज की ऊंचाई और गहराई को पाटने वाले प्रसिद्व संत थे तथा जगतगुरू रामानन्द जी के 12 शिष्यों में एक प्रमुख थे।
इनके शिष्यों में प्रमुख मेवाड़ की महारानी अद्वितीय वैष्णव भक्त माता मीराबाई जी थी।
मीराबाई जी ने अपने पदों में इन्हें साक्षात देवेश्वर कहा था तथा अद्वितीय गुरू बताया था।
मन चंगा तो कठौती में गंगा की पंक्ति को सार्थक करने वाले संत रविदास जी थे
माता मीराबाई त्रेता की मां सीता की सहचरी चन्द्रकला एवं द्वापर मां राधा की सहचरी विशाखा की अवतार थी।
स्वयं रविदास जी ने द्वापर में कृष्ण भक्त एवं भगवान के सखा सुदामा के अवतार थे
महर्षि अत्रि ने कहा है कि माता के गर्भ से तो सभी शूद्र उत्पन्न होते है तथा वे शुभ संस्कारा को धारण करने से वे द्विज/आचार्य बन जाते है।
इस क्षेत्र में शांतिकुंज गायत्री पीठ हरिद्वार एवं इस्कान आदि संस्थाओं द्वारा व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *