हरिद्वार  -भूपतवाला स्थित सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर श्री सीताराम धाम में परम पूज्य श्री महंत 1008 श्री मोहनदास रामायणी जी महाराज की पावन पंचम पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित संत समागम में बोलते हुए आश्रम के श्री महंत सूरज दास जी महाराज ने कहा इस जगत में गुरु की महिमा बड़ी ही अपरंपार है गुरु अपने भक्तों को धर्म-कर्म के माध्यम से सत्य कर्मों के माध्यम से पूजा पाठ के माध्यम से यज्ञ अनुष्ठान भंडारों के माध्यम से धर्म कर्म की ओर लगाकर उसे कल्याण की ओर अग्रसर करते हैं इस पृथ्वी लोक पर गुरु साक्षात ईश्वर के प्रतिनिधि हैं गुरु मिलते हैं ईश्वर से और भक्तों का लगाते बेड़ा पार तो हे भक्तजनों गुरु ही इस पृथ्वी लोक पर भक्तों के तारणहार है गुरु ही ईश्वर तक पहुंचाने की सीढ़ी है जब-जब इस धरती पर ईश्वर का अवतरण हुआ है तो उन्हें भी गुरु के मार्गदर्शन में चलना पड़ा है जैसे की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने इस पृथ्वी लोक पर एक मर्यादा स्थापित की उन्होंने गुरु की आज्ञा से असुर जाति का विनाश किया आम जनमानस को उनके आतंक से निजात दिलाई मात पिता की आज्ञा पालन हेतु वन जाना स्वीकार किया इस संसार में सनातन परंपरा सबसे मजबूत एवं प्रखर परंपरा है यह भगवान राम के आदर्शों से स्थापित है परम पूज्य गुरुदेव मोहनदास रामायण जी महाराज साक्षात ईश्वर की प्रतिमूर्ति थे उन्होंने विश्व भर में ऐसी धर्म की और ज्ञान की गंगा बहाई कि उनके श्री चरणों का प्रताप उनकी की तपस्या का प्रताप आज भी आश्रम में उनकी कृपा के रूप में विद्यमान है भक्त जनों में उनके दिए गए आशीर्वाद के रूप में फलीभूत हो रहा है इस अवसर पर बोलते हुए श्री सुदर्शन अखाड़ा आश्रम के श्री महंत परम पूज्य श्री रघुवीर दास जी महाराज ने कहा वह भक्त बड़े ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें गुरु की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त होता है गुरु का सानिध्य प्राप्त होता है इस पृथ्वी लोक पर गुरु ही मनुष्य को सत्य का मार्ग दिखाने तथा कल्याण की ओर ले जाने का मध्य है इसलिए हे भक्तजनों अगर भक्ति करनी है तो माता शबरी की तरह करो सदियों बीत जाए पर आपका सब्र कभी टूटे ना अगर भक्ति करनी है तो वीर बजरंगबली भक्त सुदामा भक्त सूरदास भक्त कालिदास भक्त मीराबाई जैसी करो कि भगवान तुम्हें चारों ओर दिखाई दे ईश्वर तुमसे खुद मिलने के लिए लालाहित हो और यह मार्ग भक्तों को सिर्फ गुरु ही दिखा सकते हैं गुरु मिलते हैं ईश्वर से गुरु ही देते ज्ञान उंगली पड़कर पल भर में करते बेड़ा पार मनुष्य के जीवन में धैर्य और भक्ति सबसे बड़ी कुंजी होता है जो गुरु के ज्ञान से ही प्राप्त हो सकता है गुरु ही मनुष्य को विचलित होने से बचाते हैं अपने भक्तों को पल भर में उंगली पड़कर भगवान राम से मिला देते हैं इस अवसर पर महामंडलेश्वर दुर्गादास महाराज महंत प्रेम दास महाराज महंत रवि देव वेदांताचार्य महंत शुभम गिरी महाराज महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज महंत हरिदास महाराज महंत रघुवर दास महाराज महंत शांति प्रकाश महाराज प्रभु दास महाराज श्री श्यामसुंदर दास सरवन दास धर्मदास महाराज रामदास महाराज रमेशानंद देहरादून बाबा पंजाबी बाबा गगन देवगिरी महाराज वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण महाराज श्री ओमप्रकाश जांगिड़ पुजारी सुभाष विद्यार्थी हरिशंकर नरेंद्र मृत्युंजय प्रवीण कश्यप धीरेंद्र रावत ठाकुर मनोजानंद सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे सभी ने आयोजित विशाल संत समागम में ज्ञान रूपी अमृत को ग्रहण किया तथा विशाल भंडारे में भोजन प्रसाद ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ किया

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