हरिद्वार समाचार- श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कुंभ मेला प्रभारी एवं मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने कहा है कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने सार्मथ्य के अनुसार गरीब असहाय लोगों की सहायता अवश्य करनी चाहिए। फेरूपुर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण की शाखा में आयोजित कंबल वितरण समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड में गरीब असहाय लोगों को कंबल वितरण करना पुण्य का कार्य है। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन प्रारंभ से ही गरीब असहाय लोगों की मदद करता चला आ रहा है। प्रत्येक वर्ष अखाड़े की सभी शाखाओं में निर्धन परिवारों को कंबल वितरित किए जाते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को मानव कल्याण में अपनी सहभागिता प्रदान करते हुए मानव सेवा हेतु तत्पर रहना चाहिए। सीओ पथरी राजन सिंह ने कहा कि संत महापुरुषों का जीवन सदैव परमार्थ को समर्पित रहता है और संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति का कल्याण संभव है। श्री पंचायती अखाड़ा द्वारा चलाए जा रहे सेवा प्रकल्पों से गरीब असहाय लोगों को लाभ तो मिलता ही है। साथ ही समाज में मानव सेवा का सकारात्मक संदेश भी जाता है। सभी को मिलजुल कर जरूरतमंद निर्धनों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। अखाड़े की फेरूपुर शाखा के कोठारी महंत दर्शन दास एवं कारोबारी महंत निर्मल दास महाराज ने कहा कि निर्बल की सेवा करना ही सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। गरीब असहाय लोगों की सेवा करना ही संतों का प्रमुख कार्य है। राष्ट्र कल्याण में संत महापुरुषों की अहम भूमिका रही है। लॉकडाउन के दौरान भी अखाड़े की सभी शाखाओं की ओर से अन्न क्षेत्र चलाने के साथ ही गरीब असहाय लोगों को राशन वितरण भी किया गया। उन्होंने कहा कि संत महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि निस्वार्थ सेवा भाव ही संतों की पहचान है। अखाड़े की ओर से जाति धर्म से ऊपर उठकर सर्दी से बचाव के लिए गरीबों को कंबल वितरण करना सराहनीय कार्य है। सभी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। इस दौरान कोठारी महंत दामोदरदास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत निरंजन दास, महंत दामोदरशरण दास, महंत कमल दास, महंत प्रेमदास, महंत धर्मदास, म.म.स्वामी भगवतस्वरूप महाराज, म.म.स्वामी प्रकाश मुनि, महंत श्रवण मुनि, महंत मुरलीदास, स्वामी वेदानंद, पथरी थाना अध्यक्ष सुखपाल सिंह मान आदि उपस्थित रहे।

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