हरिद्वार, 2 अगस्त। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि देवों के देव महादेव भगवान शिव की आराधना से मन की शुद्धि के साथ-साथ अंतःकरण की भी शुद्धि होती है। जिससे श्रद्धालु भक्त के मोक्ष का मार्ग होता है। नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में जारी भगवान शिव की विशेष आराधना के दौरान श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव आदि अनादि और निराकार हैं और सृष्टि की उत्पत्ति और अंत के कारक हैं। चूंकि भगवान शिव ही सृष्टि की रचना के मुख्य सूत्रधार हैं। इसलिए वह अपने भक्तों पर सदैव कृपा करते हैं और समस्त जगत का कल्याण करते हैं। जो श्रद्धालु भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की शरणागत होता है। शिव कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। भक्तों पर हमेशा कृपा बरसाने वाले भगवान शिव की श्रावण मास में की जाने वाली आराधना का विशेष महत्व है। श्रावण मास और प्रकृति का आपस में विशेष संबंध है। श्रावण मास में प्रकृति नया श्रंग्रार करती है। चारों और छायी हरियाली एक नई चेतना उत्पन्न करती है। इसलिए श्रावण मास में शिव आराधना के साथ-साथ प्रकृति के संरक्षण संवर्धन का संकल्प भी अवश्य लेना चाहिए। स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि प्रतिवर्ष पूरे श्रावण मास में लोक कल्याण के लिए की जाने वाली स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज की विशेष आराधना का समापन श्रावण पूर्णिमा को होगा। इस दौरान कई गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पांडे, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, स्वामी अनुरागी महाराज, आचार्य प्रमोद, पुजारी सुधीर पाण्डे सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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