हरिद्वार, 19 नवम्बर। श्री गरीबदासीय आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि भक्त और भगवान की कथा श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण करने मात्र से जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कथा के प्रभाव से अधोगति में पड़े पितरों को भी मुक्ति मिलती है। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन और श्रवण दोनों ही कल्याणकारी हैं। गंगा तट पर संतों के सानिध्य में कथा का श्रवण और आयोजन करने से दोगुने पुण्य फल फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भावगत कथा ज्ञान का अथाह भण्डार है। कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण करने से जीवन बदल जाता है और पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है। सभी को कथा श्रवण के अवसर को कभी गंवाना नहीं चाहिए। स्वयं कथा श्रवण करने के साथ दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। स्वामी हरिहरानंद व स्वामी दिनेश दास ने कहा कि पूर्व काल में पुण्य प्राप्ति के लिए जहां तमाम यत्न करने पड़ते थे। वहीं कलिकाल में श्रीमद्भावगत कथा के श्रवण करने मात्र से सहज ही पुण्य की प्राप्ति हो जाती है। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण का लाभ तभी है। जब इससे मिले ज्ञान को आचरण में धारण किया जाए। मुख्य जजमान नवीन भाई एवं उर्मिला बेन ने परिवार के सदस्यों के साथ सभी व्यास पीठ का पूजन और संतों का स्वागत कर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर स्वामी परमात्मदेव, स्वामी निर्मल दास, स्वामी दिनेश दास, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, आचार्य पदम प्रसाद सुवेदी, डा.संजय वर्मा, लोकनाथ, विजय शर्मा, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी कृष्णानंद सहित श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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