‎हरिद्वार। जून और जुलाई के महीनों में बदलते मौसम के साथ स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी तेजी से बढ़ने लगती हैं। भीषण गर्मी में जहां डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक जैसे खतरे मंडराते हैं, वहीं बारिश की शुरुआत होते ही मलेरिया, डेंगू और डायरिया जैसी संक्रामक बीमारियाँ घर-घर दस्तक देने लगती हैं। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, ऋषिकुल परिसर के वरिष्ठ परामर्श चिकित्सक डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि इन बीमारियों से बचाव के लिए आयुर्वेद की पारंपरिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बने उपाय बेहद कारगर हैं।

‎गर्मी में बढ़ जाता है लू और निर्जलीकरण का खतरा
‎डॉ. उपाध्याय बताते हैं कि गर्मियों में शरीर का जल संतुलन जल्दी बिगड़ता है। पसीने के साथ आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स बाहर निकल जाते हैं, जिससे कमजोरी, सिर दर्द और चक्कर जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे में गन्ने का रस, बेल शरबत, आमपना और नारियल पानी जैसे प्राकृतिक पेय पदार्थों का नियमित सेवन बहुत लाभकारी है। दिन में दो बार शीतली या शीतकारी प्राणायाम करने से शरीर की आतंरिक गर्मी कम होती है।

‎यूटीआई जैसी समस्याएं भी आम, घरेलू उपाय हैं कारगर
‎गर्मी के कारण पेशाब में जलन, बार-बार मूत्रत्याग और संक्रमण जैसी समस्याएं आम होती हैं। इस पर डॉ. उपाध्याय सलाह देते हैं कि धनिया पानी (भुना हुआ धनिया रातभर भिगोकर सुबह छानकर पीना), गोक्षुरादि गुग्गुलु और चंद्रप्रभावटी जैसी आयुर्वेदिक औषधियाँ संक्रमण से राहत दिला सकती हैं। साथ ही पर्याप्त मात्रा में जल का सेवन आवश्यक है।

‎मानसून में मच्छर जनित बीमारियों से रहें सतर्क
‎जुलाई में जैसे ही वर्षा ऋतु शुरू होती है, डेंगू और मलेरिया जैसे रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इस बारे में डॉ. उपाध्याय कहते हैं कि “मच्छरों से बचाव ही सबसे बड़ा बचाव है। घर में नीम की पत्तियाँ, कपूर व लोहबान जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।” रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय सत्व, तुलसी अर्क और पपीते की पत्तियों का रस का सेवन लाभकारी होता है।

‎डायरिया और पेट के संक्रमण से कैसे करें बचाव?
‎मानसून में दूषित जल और खाद्य पदार्थों से पेट के संक्रमण का खतरा बढ़ता है। डॉ. उपाध्याय के अनुसार, “बेल का गूदा, अनार का रस, सादा छाछ और शुण्ठी (सुखी अदरक) जैसे आयुर्वेदिक उपाय दस्त और अपच जैसी समस्याओं में अत्यंत लाभकारी हैं।” वे सलाह देते हैं कि पानी उबालकर पीना चाहिए और बाहर का खुला भोजन बिलकुल न लें।

‎मौसमी फल और सब्जियां भी करें रोगों से रक्षा
‎डॉ. उपाध्याय बताते हैं कि “इस समय बाजार में उपलब्ध लौकी, परवल, सहजन, पालक, करेला जैसी सब्जियां तथा आम, जामुन, अनार, आंवला, और तरबूज जैसे फल शरीर को ठंडक, पोषण और रोग प्रतिरोध प्रदान करते हैं।” इनका नियमित सेवन शरीर की आंतरिक सफाई करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाता है।

‎ऋतुचर्या का पालन करें, रोग दूर रहें
‎आयुर्वेद विशेषज्ञ का सुझाव है कि गर्मी और वर्षा के संक्रमण काल में ऋतुचर्या का पालन करना बहुत जरूरी है। जल्दी उठना, योग-प्राणायाम करना, हल्का व सुपाच्य भोजन लेना, दोपहर में अधिक श्रम न करना और दोपहर के समय शीतल पेय लेना आयुर्वेदिक दिनचर्या के महत्वपूर्ण अंग हैं।

‎आयुर्वेद में है हर समस्या का समाधान
‎अंत में डॉ. उपाध्याय कहते हैं – “आयुर्वेद न केवल इलाज की पद्धति है, बल्कि यह जीवन जीने की कला भी सिखाता है। मौसम के अनुसार यदि हम खानपान, रहन-सहन और औषधियों को समायोजित करें, तो किसी भी मौसमी बीमारी से बचा जा सकता है।”

‎लेखक परिचय
‎डॉ. अवनीश कुमार उपाध्याय, बी.ए.एम.एस., पी.जी. (क्लिनिकल रिसर्च), पीएचडी (द्रव्यगुण एवं एथनोमेडिसिन), आयुर्वेद के वरिष्ठ विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में वे *निर्माण वैद्य (चिकित्साधिकारी)* के रूप में ऋषिकुल आयुर्वेदिक फार्मेसी, हरिद्वार में कार्यरत हैं तथा *वरिष्ठ परामर्श चिकित्सक* के रूप में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, ऋषिकुल परिसर में सेवाएं दे रहे हैं। साथ ही वे *राष्ट्रीय आयुष मिशन* के *नोडल अधिकारी एवं मास्टर ट्रेनर* हैं। आयुर्वेदिक औषध निर्माण, पंचकर्म चिकित्सा एवं अनुसंधान में उनका विशेष योगदान है।

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