हरिद्वार

 

जनपद में अपने आगमन के बाद से ही कानूनी मामलों में पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र डोबाल हमेशा से बेहद सख्त रहे हैं। इनकी सख़्ती और शार्प नेतृत्व का ही असर है कि जनपद में इक्का दुक्का मामलों को छोड़कर कोई भी बड़ी घटना होने के कुछ ही दिनों बाद उसका खुलासा हो जाता है और अपराधियों को भारतवर्ष के कोने-कोने से पकड़ कर जेल भेजा जाता है।

आज नववर्ष में जहां पूरा देश एक दूसरे को सहर्ष बधाइयां देने में व्यस्त है तो वहीं कुछ दिन पहले से कुख्यात अपराधियों पर नकेल कसने को श्री डोबाल के मन में कुछ और ही चल रहा था।

दूरगामी लक्ष्य साधने की अपनी काबिलियत का उदाहरण पेश करते हुए नए साल के पहले दिन ही श्री डोबाल द्वारा अचानक की गई ये सर्जिकल स्ट्राइक नींद से जागे आदतन अपराधियों के लिए एक बुरे सपने की तरह साबित हुई साथ ही सभी को एक परोक्ष चेतावनी भी है कि सुधरे नहीं तो कानून की किताब, सुधारने के और भी तरीके जानती है।

जनपद में सक्रिय विभिन्न गैंग के चिन्हिकरण एवं उनके विरुद्ध कार्यवाही के संबंध में एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल द्वारा दिए गए स्पष्ट एवं कड़े दिशा-निर्देश के क्रम में कोतवाली नगर हरिद्वार में गैंग लीडर दीपक उर्फ गंजा (लूट/डकैती), कोतवाली ज्वालापुर में गैंग लीडर राव जकीउल्लाह (वाहन चोर), कोतवाली रानीपुर से गैंग लीडर विशाल उर्फ फुकरा (चोरी/नकबजनी), कोतवाली रुड़की से गैंग लीडर शहजाद (नकबजनी), कोतवाली गंगनहर से गैंग लीडर अमन (वाहन चोर), कोतवाली लक्सर से गैंग लीडर शाह आलम उर्फ भूरा (नशा तस्करी/चोरी), कोतवाली मंगलौर से गैंग लीडर विनीत (लूट), थाना भगवानपुर से गैंग लीडर अभिषेक (वाहन चोरी), थाना श्यामपुर से गैंग लीडर हुकुम सिंह (चोरी), थाना बहादराबाद से गैंग लीडर कुर्बान (लूट/चोरी), थाना कनखल से गैंग लीडर कुशवाह (अवैध कब्जा), थाना सिड़कुल से गैंग लीडर विशाल (चोरी), थाना झबरेड़ा से गैंग लीडर विशाल (वाहन चोरी) तथा थाना बुग्गावाला से गैंग लीडर जाविद (पशु चोरी) आदि द्वारा संचालित गैंगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्यवाही की गई। इस कार्यवाही के दायरे में कुल 14 गैंगों के 45 अभियुक्त आए हैं।

*गुंडा एक्ट* के तहत पूरे जनपद से कुल 47 अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। इस कार्यवाही में कोतवाली नगर हरिद्वार से 05 शराब तस्करों, कोतवाली ज्वालापुर से 02 शराब माफिया/सटोरियों, कोतवाली रानीपुर से 02 शराब तस्कर, कोतवाली रुड़की से 03 चोर/शराब तस्कर, कोतवाली लक्सर से 05 नशा तस्कर, कोतवाली मंगलौर से 02 शराब तस्कर, थाना कनखल से 03 शराब तस्कर, थाना सिड़कुल से 02 वाहन चोर, थाना बहादराबाद से 05 वाहन चोर, थाना कलियर से 04 पशु तस्कर, थाना पथरी से 04 शराब तस्कर, थाना खानपुर से 02 शराब तस्कर, थाना झबरेड़ा से मारपीट के आदतन 02, थाना भगवानपुर से 05 शराब तस्कर/वाहन चोर व थाना बुग्गावाला से 01 चोर सम्मिलित हैं।

*कौन होता है गैंगस्टर?*

दरअसल हमारे समाज में ऐसे कई अपराधी हैं जो संगठित होकर अपराध को अंजाम देते हैं। अपराध करने का इनका मुख्य मकसद समाज में दहशत फैलाते हुए अपनी आजीविका चलाना है। जैसे अन्य लोग काम कर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं, उसी तरह यह लोग समूह में अपराध कर अपना जीवनयापन करते हैं। ऐसे में इस गिरोह के प्रत्येक व्यक्ति को गैंगस्टर कहा जाता है। पुलिस द्वारा तैयार गैंगचार्ट के हिसाब से ही जिले के डीएम और एसएसपी आरोपी को गैंगस्टर घोषित करते हैं।

*क्या है गैंगस्टर एक्ट-*

गैंगस्टर एक्ट का प्रावधान इसलिए लाया गया कि जो लोग असल में अपराधी हैं वे गैंग चलाकर समाज में दहशत फैलाते हैं, ऐसे लोगों के विरुद्ध मजबूत कानूनी कार्रवाई की जा सके। दरअसल कई बार अपराधी व्यक्तिगत तौर पर अपराध करने के बजाय एक गिरोह बनाकर अपराध करते हैं जैसे हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी आदि ऐसी घटनाओं को मिलकर अंजाम देते हैं। ऐसे में इन्हें रोकने और लंबे समय तक जेल में रखने के लिए साल 1986 में गैंगस्टर एक्ट बनाया गया।

*कितना घातक होता है अपराधियों के लिए गैंगस्टर एक्ट-*

इस एक्ट में दोषी अपराधी को न्यूनतम दो साल और अधिकतम दस साल सजा दिए जाने का प्राविधान है। गैंग बनाकर अर्जित की गई चल एवं अचल संपत्तियों को कुर्क करने का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया है।

*गुंडा एक्ट लगने के क्या हैं मायने-*

आदतन अपराधियों को एक निश्चित क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए गुंडा एक्ट बनाया गया है। इस कानून के तहत जनपद के डीएम को गुंडा एक्ट के तहत आदतन अपराधी को जिला बदर करने का अधिकार दिया गया है। थाने से प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी द्वारा निश्चित अवधि हेतु नामित अभियुक्त को जिलाबदर करने का आदेश जारी किया जाता है जिस पर कार्रवाई करते हुए संबंधित थाना पुलिस द्वारा अभियुक्त को जिले से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। आम भाषा में इसको जिलाबदर की कार्रवाई कहते हैं। नियत अवधि के दौरान जनपद में मौजूदगी मिलने पर अभियुक्त के खिलाफ अलग से मुकदमा दर्ज किया जाता है जो किसी भी अभियुक्त के लिए घातक साबित होता है।

07 दर्जन से अधिक असामाजिक तत्वों के खिलाफ हुई इस कड़ी कार्रवाई से अपराधियों में डर का माहौल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *