हरिद्वार, 18 अगस्त। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की प्रयागराज शाखा के पूर्व सचिव ब्रह्मलीन महंत लेखराज गिरी को सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों की उपस्थिति में नीलधारा स्थित समाधि स्थल पर भूसमाधि दी गयी। श्रीमहंत लेखराज गिरी का ट्रेन से जयपुर से प्रयागराज आते समय हृदयगति रूकने से निधन हो गया था। रविवार को उनकी पार्थिव देह को निरंजनी अखाड़े लाया गया। अखाड़े में सभी तेरह अखाड़े के संतों ने श्रीमहंत लेखराज गिरी को श्रद्धांजलि अर्पित की। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि श्रीमहंत लेखराज गिरी महान संत थे। अखाड़े की उन्नति में उनका अहम योगदान रहा। उनके निधन से अखाड़े को अपूर्णीय क्षति हुई है। मां गंगा उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि संत महापुरूषों का जीवन परमार्थ के लिए होता है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत लेखराज महाराज ने अखाड़े की उन्नति के साथ समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में भी योगदान दिया। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि संत केवल देह त्यागते हैं। उनकी आत्मा सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहती है। ब्रह्मलीन श्रीमहंत लेखराज गिरी महाराज का जीवन और कृतित्व सदैव सभी को लोक कल्याण की प्रेरणा देते रहेंगे। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लेखराज गिरी महाराज ने जीवन पर्यन्त संत परंपरांओं का पालन करते हुए सनातन धर्म संस्कृति और मानव कल्याण में योगदान दिया। सभी को ब्रह्मलीन श्रीमहंत लेखराज गिरी महाराज के जीवन से प्ररेणा लेनी चाहिए। श्रद्धांजलि देने वालों में महंत नरेश गिरी, महंत आलोक गिरी, महंत राकेश गिरी, महंत विनोद गिरी, स्वामी रविपुरी, स्वामी रघुवन, स्वामी आशुतोष पुरी, स्वामी गंगा गिरी, महंत राघवेंद्र दास, महंत गोविंददास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, महंत गंगादास, महंत सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत शिवशंकर गिरी, स्वामी शिवानंद भारती, महंत साधनानंद, स्वामी पारस मुनि सहित बड़ी संख्या में संत महंत व श्रद्धालु शामिल रहे।

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