हरिद्वार l राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार सहयोग से ’’आपदा-मित्र अद्यतीकरण परियोजना जो राज्य के 11 जनपदों (ऊधमसिंहनगर व हरिद्वार को छोड़कर) में क्रियान्वित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत आपदा मित्र के रूप में 11 जनपदों से 1700 स्वयंसेवकों को 25-25 के बैच में 12 दिवसीय आवासीय खोज-बचाव, प्राथमिक चिकित्सा/सहायता का प्रशिक्षण कार्यक्रम राज्य में जनपदवार चयनित 16 प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है । राज्य स्तर से जनपद में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालन हेतु इंडियनियर्स मीडिया प्रा0लि0 का चयन किया गया है । प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, देहरादून द्वारा किया जा रहा है तथा जनपद में जनपद आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को माॅनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गयी है । इसी क्रम में जनपद टिहरी गढ़वाल से चयनित स्वयंसेवकों के प्रथम बैच का प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 22.04.2022 से काशी-अन्नापूर्णा गेस्ट हाउस, अपोजिट शांतिकुंज गेट नं0-2, निकट मोहयाल आश्रम, भूपतवाला, श्यामलोक काॅलोनी, हरिद्वार जनपद हरिद्वार में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 16 स्वयंसेवकांे द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है तथा प्रशिक्षण संस्थान इंडियनियर्स मीडिया प्रा0लि0 के 2 मास्टर टेªेनरों द्वारा प्रदान किया जा रहा है। आपदा-मित्र अद्यतीकरण परियोजना के तहत जनपद में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का पर्यवेक्षण हेतु दिनंाक 23.04.2022 को राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय दल जिसमें श्री कुणाल सत्यार्थी, संयुक्त सचिव, एन0डी0एम0एम0, श्री नवल प्रकाश, संयुक्त सलाहाकार, एन0डी0एम0एम0, शिखा शर्मा, परियोजना समन्वयक (यू0ए0एम0एस0), एन0डी0एम0ए0 द्वारा भ्रमण किया गया ।सर्वप्रथम प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मीरा कैन्तुरा आपदा प्रबन्धन अधिकारी करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी व प्रतिभागियों को स्वागत करते हुए प्रशिक्षण का उद्देश्य बताया गया । उन्होेंने बताया कि प्राकृतिक आपदाओं को आने से रोका नहीं जा सकता है किन्तु आमजनमानस को जागरूक व संवेदनशील कर आपदाओं के दौरान होने वाले नुकसान का कम किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त उन्होंने भूकम्प, भूस्खलन, बाढ़ आदि आपदाओं के बारे जानकारी दी गयी । श्री नवल प्रकाश, संयुक्त सलाहाकार, एन0डी0एम0एम0 ने राज्य में संचालित आपदा-मित्र अद्यतीकरण परियोजना के सम्बन्ध में जानकारी देते बताया कि परियोजना के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य के 11 जनपदों से 1700 स्वयंसेवकों प्रशिक्षित किया जाना है ताकि किसी भी आपदा के समय थ्पतेज त्मेचवदकमत के रूप में उनका सहयोग लिया जा सके । उन्होंने बताया कि आपदा के समय स्थानीय व्यक्ति ही सबसे पहले घटना स्थल पर पहंुचकर पीड़ितो की मदद करते हैं । उन्होंने बताया कि मा0 प्रधानमंत्री जी दिशा-निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा भारतवर्ष के लगभग 350 जिलों में यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है तथा कार्यक्रम के तहत वर्ष 2024 तक देशभर से 1.00 लाख स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जाना है । उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरान्त स्वयंसेवकों को आई0कार्ड तथा किसी भी आपदा के दौरान स्वयंसेवकों को कोई नुकसान कि स्थिति को ध्यान रखते हुए उन्हें रू0 5.00 लाख का बीमा कवर भी दिया जा रहा है । श्री मनोज कण्डियाल, मास्टर टेªेनर, आपदा प्रबन्धन ने आपदा प्रबन्धन के दौरान स्वयंसेवकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए आपदा के समय प्राथमिक सहायता की मदद से आप किसी भी व्यक्ति की जान बचा सकते हैं, जो कि पूण्य का काम है । उन्होंने बताया कि हड्डी टूटने की स्थिति में कैजुअल्टी कैरिंग विधि के तहत घायल व्यक्ति को स्पििलंट, सैल्फ स्पिलिंट का उपयोग कर उसे सुरक्षित चिकित्सालय पहंुचाना आवश्यक है। घायल व्यक्ति को ए0बी0सी0 का परीक्षण करना, कृत्रिम श्वसन देना एवं खून बहने की स्थिति में उस अंग को साफ कपड़े से 10 मिनट तक दबा कर रखना तथा अंदरूनी रक्तस्राव होने की स्थिति में घायल व्यक्ति को रिकवरी पोजिशन पर रखना तथा परिस्थिति अनुसार विभिन्न प्रकार की पट्टियों के बारे में बताया गया । घायल व्यक्ति को सुरक्षित ले जाने हेतु टू-हैण्ड सिट, फोर हैण्ड सिट, फायरमैन लिफ्ट तथा वैकल्पिक स्टेªेचर के बारे में जानकारी दी गयी । श्री कुणाल सत्यार्थी, संयुक्त सचिव, एन0डी0एम0एम0 ने राज्य की भौगोलिक परिस्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पहाड़ी जनपद विशेषकर भूकम्प, भूस्खलन व फ्लैश फ्लड तथा मैदान जनपद भूकम्प व बाढ़ के प्रति संवेदनशील है । उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही पहाड़ी जनपदों में बादल फटने से त्वरित बाढ़ की घटना घटित हो रही है । इसके अतिरिक्त सडक निर्माण के दौरान मलवे का उचित व सुरक्षित स्थानों पर निस्तारण न किये जाने के कारण भूस्खलन की घटना भी घटित हो रही है। उन्होंने बताया कि किसी भी आपदा की स्थिति में सर्वप्रथम अपनी सुरक्षा किये जाने हेतु स्थानीय जनसमुदाय को जागरूक किया जाना आवश्यक है । इसी के तहत स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे आपदा की स्थिति में फस्र्ट रिस्पान्डर के साथ ही ं राहत-बचाव कार्यों मंे तैनात कार्मिकों को अपना सहयोग प्रदान कर सकें । अन्त में श्री गोपाल राम बिनवाल, डिप्टी कलक्टर, हरिद्वार ने एन0डी0एम0ए0 के प्रतिनिधि, जनपद टिहरी गढ़वाल से आये स्वयंसेवक, प्रशिक्षण संस्थान का आभार व्यक्ति करते हुए बताया कि पहाडी जनपद में ज्यादातर सड़क दुर्घटना की घटित होती है जिसमें कि राहत-बचाव कार्यों को सम्पादित किया जाना काफी मुश्किल होता है तथा कभी-कभी दुर्घटना काफी दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण जिला प्रशासन को भी आने में समय लग जाता है, ऐसी स्थिति में स्थानीय लोगों के सहयोग से ही सबसे पहले कार्यवाही की जाती है, जो कि सराहनीय कार्य है । इसी को ध्यान में रखते हुए हर स्तर पर आपदा प्रबन्धन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर लोगों को प्रशिक्षित किये जाने की आवश्यकता है । उन्होंने प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने वाले स्वयंसेवकों से मन लगाकर प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा प्रशिक्षण में दी जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारियों को अपने परिवार व आसपास के लोगों से साझा करने की अपेक्षा की गयी । प्रशिक्षण कार्यक्रम में श्री कुणाल सत्यार्थी, संयुक्त सचिव, एन0डी0एम0एम0, श्री नवल प्रकाश, संयुक्त सलाहाकार, एन0डी0एम0एम0, शिखा शर्मा, परियोजना समन्वयक (यू0ए0एम0एस0), एन0डी0एम0ए0, श्री गोपाल राम बिनवाल, डिप्टी कलक्टर, श्रीमती मीरा कैन्तुरा, आपदा प्रबन्धन अधिकारी, डा0 हरिबल्लभ कुनियाल (सलाहकार), श्री मनोज कण्डियाल मास्टर ट्रेनर, श्री रोशन कुमार सिंह, श्री सुनील सिंह (आपदा प्रबन्धन), संस्थान के प्रतिनिधि श्री सृजील व मास्टर ट्रेनर आदि द्वारा प्रतिभाग किया गया ।