हरिद्वार, 23 अप्रैल। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्कारानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा कल्पवृक्ष के समान है। कथा के श्रवण और मनन से सभी इच्छाओं को पूरा किया जा सकता है। सप्त सरोवर मार्ग स्थित अखण्ड दयाधाम में अखण्ड दयाधाम वृन्दावन एवं गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट इंदौर की और से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन श्रद्धालु भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला का वर्णन करते हुए स्वामी भास्करानंद ने बताया कि रास जीव के शिव से मिलन की कथा है। भगवान की महारास लीला इतनी दिव्य है कि स्वयं भोलेनाथ उनके बाल रूप के दर्शन करने के लिए गोकुल पहुंच गए। महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत, भागवत के पंच प्राण हैं, जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है। वह भव सागर से पार हो जाता है। उसे वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का प्रसंग को सुनाते हुए स्वामी भास्करानंद ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए और लक्ष्मी नारायण की पूजा या उनकी सेवा करे तो उसे भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी बिपनानंद, स्वामी नागेंद्र महाराज आदि संतों ने भी श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान किए। ट्रस्टी प्रेम गोयल, विजय गोयल, श्याम अग्रवाल, पुरूषोत्तम अग्रवाल एवं पुष्पा देवी, गायत्री वालिया तथा अमित वालिया ने संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु भक्त शामिल रहे।

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