हरिद्वार, 30 अक्तूबर। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा की पवित्र छड़ी नगर भ्रमण के दौरान सोमवार को श्यामपुर कांगड़ी में महंत मछंदरपुरी आश्रम स्थित मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर पहुंची। गोकर्ण पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्रीमहंत कपिल पुरी महाराज, महामंडलेश्वर श्रीमहंत कमल पुरी महाराज, महंत महेश पुरी, श्रीमहंत शैलेंद्र गिरि, महंत पवनपुरी, महंत प्रबोधानंद गिरी, महंत राम गिरी, महंत गर्व गिरी, साध्वी महंत अनपूर्णा पुरी, साध्वी महंत योगेश्वर पुरी ने पुष्पवर्षा कर छड़ी का स्वागत किया। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत कैलाशानंद गिरी महाराज, अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री व जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमंत हरि गिरि महाराज के नेतृत्व में संतों ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर उत्तराखंड भ्रमण के लिए रवाना किया। निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि पवित्र छड़ी के दर्शन पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र छड़ी के उत्तराखंड के समस्त तीर्थो का भ्रमण करने से सनातन परंपराएं मजबूत हुई हैं। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति की अनूठी परंपरांओं से प्रभावित होकर विदेशी भी सनातन धर्म को अपना रहे हैं। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज एवं महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति का संरक्षण संवर्द्धन व आमजन में धार्मिक चेतना जगाना ही संत समाज का उद्देश्य है। पवित्र छड़ी यात्रा से जहां धर्म को बढ़ावा मिलेगा। वहीं लोगों को रोजगार भी मिलेगा। पवित्र छड़ी यात्रा के प्रमुख जूना अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज ने बताया अखाड़े की चारों मढ़ियों मे श्रीमहंत पवित्र यात्रा की अगवाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पवित्र छड़ी गढ़वाल मंडल स्थित केदार खंड तथा कुमाऊं स्थित मानस खंड के समस्त पौराणिक तीर्थों की यात्रा करेगी। यात्रा का समापन 24 नवम्बर को मायादेवी मंदिर में होगा। श्रीमहंत मछंदरपुरी आश्रम से पवित्र छड़ी भूपतवाला गोकर्ण धाम पहुंची। गौकर्ण धाम में पूजा अर्चना के बाद रात्रि विश्राम के लिए पवित्र छड़ी ऋषिकेश स्थित तारापीठ मंदिर पहुंची। तारापीठ के पीठाधीश्वर श्रीमहंत संध्या गिरी ने पूजा अर्चना कर पवित्र छड़ी को रात्रि विश्राम के लिए विधि विधान से मंदिर में स्थापित किया।