हरिद्वार, 9 दिसम्बर- भीमगोड़ा स्थित जगन्नाथ धाम में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति की जिला कार्यकारिणी बैठक में संतों ने धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा, गोरक्षा, गंगा रक्षा, मठ मंदिरों पर असामाजिक तत्वों द्वारा कब्जा करने जैसे मुद्दों पर चर्चा करते हुए सरकार से समाधान करने की मांग की। बैठक के दौरान सर्वसम्मति से जिला कार्यकारिणी का गठन भी किया गया और देवपुरा आश्रम के महंत गुरमीत सिंह को जिला अध्यक्ष, महंत किशनदास महाराज को महामंत्री व महंत रामानुज दास महाराज को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया। उत्तराखण्ड में धर्मांतरणरोधी कानून पास होने पर संतों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बधाई देते हुए आभार भी जताया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने नवनियुक्त जिला पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने में संत समाज ने हमेशा अहम भूमिका निभायी है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन के लिए अखिल भारतीय संत समिति राष्ट्रीय स्तर पर संतों को संगठित कर अभियान चला रही है। सरकार को धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा के लिए गंगा को प्रदूषण मुक्त करने, गौरक्षा तथा मठ मंदिरों को अवैध कब्जों से बचाने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्त्राखण्ड धर्मातंरणरोधी कानून पास कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐतिहासिक कार्य किया है। जिसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं। अन्य राज्य सरकारों को भी इसका अनुसरण करते हुए सख्ती के साथ धर्मांतरण पर रोक लगानी चाहिए। प्रदेश महामंत्री महंत अरूणदास महाराज एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष महंत श्यामदास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म पर किए जा रहे कुठाराघात व मठ मंदिरों पर असामाजिक तत्वों द्वारा किए जा रहे कब्जों के खिलाफ संत समाज को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि हरिद्वार संतों व अध्यात्म की नगरी है। धर्मनगरी में धार्मिक संपत्तियों पर कब्जे की बढ़ती घटनाएं चिंतनीय हैं। सरकार को धर्मांतरणरोधी कानून की तर्ज पर धार्मिक संपत्तियों के संरक्षण के लिए भी कड़ा कानून बनाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धर्मांतरणरोधी कड़ा कानून पूरे देश में लागू करना चाहिए। बैठक में डा.स्वामी केशवानंद, संत जरनैल सिंह, संत बीर सिंह, डा.स्वामी केशवानंद, रामेश्वर, महन्त गुरमीत सिंह, स्वामी कर्ण पुरी, महंत निर्मल दास, महंत जीत सिंह, महन्त निर्भय सिंह, महन्त गोपाल हरि, संत सुखमन सिंह, संत जसकरण सिंह, संत गज्जन सिंह सहित बड़ी संख्या में संत महंत मौजूद रहे।