हरिद्वार, 25 सितम्बर। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा है कि महापुरुषों की तप और विद्वत्ता सनातन धर्म की अलौकिक विरासत को संजोए हुए हैं और संतो ने सदैव ही समाज का मार्गदर्शन कर राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की है। भूपतवाला स्थित श्री रंगीराम निर्वाण आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी दयाल दास महाराज की 21वीं पुण्यतिथि पर आयोजित संत समागम में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दयाल दास महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना अतुल्य योगदान दिया। संत समाज उन्हें नमन करता है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दयाल दास महाराज एक विद्वान महापुरुष थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए युवा पीढ़ी को इसके लिए प्रेरित किया। आज भी उनके आदर्श संत समाज के लिए प्रसांगिक हैं। श्री रंगीराम निर्वाण आश्रम के अध्यक्ष महंत जमुना दास महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी आत्मा सदैव व्यवहारिक रूप से उपस्थित रहती है। ब्रह्मलीन महंत दयाल दास महाराज का जीवन निर्मल जल के समान था। उनकी सादगी और कुशल व्यवहार आज भी संतो को स्मरण है। ऐसे मानवतावादी संत भारत के इतिहास में विरले ही होते हैं। महंत श्रवण मुनि महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। मुखिया महंत भगतराम महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी दयाल दास महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। युवा संतों को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। इस अवसर पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने ब्रह्मलीन स्वामी दयाल दास महाराज को महान संत बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि देने वालों में मुखिया महंत भगतराम महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास, महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, महंत गोविंद दास, महंत रामानंद सरस्वती, महंत प्रह्लाद दास, महंत जगदीश दास, स्वामी हरिहरानंद, महंत कमलदास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष उपस्थित रहे।

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