हरिद्वार, 27 जनवरी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि अनादि काल से प्रचलित गुरु शिष्य परंपरा भारत को महान बनाती है और महापुरुषों ने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर एक नई दिशा प्रदान की है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की छावनी में महंत रामानंद सरस्वती महाराज के पट्टाभिषेक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन गोपालानंद सरस्वती महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में जीवन पर्यंत अपना सहयोग प्रदान किया। अब उनके आदर्शो को अपनाकर महंत रामानंद सरस्वती भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की पताका को विश्व भर में फहरा रहे हैं। इस दौरान संत समाज ने महंत रामानंद सरस्वती महाराज को तिलक चादर प्रदान कर गोपाल आश्रम का उत्तराधिकारी नियुक्त किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। महंताई समारोह को संबोधित करते हुए बाबा हठयोगी एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि महापुरुषों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और वह केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंत काल तक समाज का मार्गदर्शन करती हैं। महंत रामानंद सरस्वती महाराज विद्वान एवं तपस्वी संत हैं, जो अपने गुरु के आदर्शो को अपनाकर संत समाज की सेवा और गुरु शिष्य परंपरा का भली-भांति निर्वहन कर रहे हैं। संत समाज आशा करता है कि गोपाल आश्रम के उत्तराधिकारी के रूप में वह अखाड़े की परंपराओं का निर्वहन करते हुए भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करेंगे। श्रीमहंत विष्णु दास एवं महंत प्रह्लाद दास महाराज ने कहा कि योग्य गुरु को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। महंत रामानंद सरस्वती गौ, गंगा एवं गायत्री के प्रबल समर्थक हैं और लंबे समय से अखाड़े की परंपराओं से जुड़े हैं। राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित करने वाले ऐसे तपस्वी एवं कर्मठ संतों की समाज को आवश्यकता है जो समाज को एक नई दिशा दे कर उन्नति के मार्ग पर प्रशस्त कर सकें। गोपाल आश्रम के नवनियुक्त उत्तराधिकारी महंत रामानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जो दायित्व उन्हें संत समाज द्वारा सौंपा गया है। उसका वह पूरी निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे और अपने गुरु के अधूरे कार्यों को पूर्ण करते हुए धर्म के संरक्षण संवर्धन में अपना जीवन समर्पित करेंग।े यही उनका मूल उद्देश्य है। इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती, महंत गोविंद दास, महंत रघुवीर दास, महंत जसविन्दर सिंह महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महंत सत्यम गिरी, महंत अखिलेश भारती, महंत देवगिरी, महंत सहजानंद गिरी, महंत कृष्णानंद गिरी, महंत प्रमोद दास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।