हरिद्वार, 18 सितम्बर। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की हैदराबाद स्थित उदासी मठ की 540 एकड़ भूमि का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट से जीतने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने अखाड़े के संतों को शुभकामनाएं प्रदान की हैं। प्रेस को जारी बयान में श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद में बड़ा उदासीन अखाड़े ने गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन से मुकदमे में जीत हासिल की है। आश्रम अखाड़ों की भूमि पर कब्जा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री महंत रघु मुनि महाराज के अथक प्रयास से ही यह संभव हो पाया है। संत समाज उन्हें साधुवाद प्रदान करता है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता है और आशा करता है कि भविष्य में ऐसे किसी भी प्रकार के अखाड़े आश्रम की संपत्तियों पर कब्जा ना होने दिया जाए। उन्होंने कहा कि देश भर में लगभग 400000 से अधिक मठ मंदिरों पर अवैध रूप से सरकार और निजी लोगों का कब्जा हो रखा है। जिसको लेकर केंद्र सरकार को मठ मंदिर मुक्ति कानून बनाना चाहिए। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि सभी तेरह अखाड़े भारतीय सनातन संस्कृति की रीढ़ हैं। जो भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को विश्व पटल पर संजोए हुए हैं। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन अपने सेवा प्रकल्पों के माध्यम से लगातार समाज को लाभान्वित कर रहा है। अखाड़े आश्रमों की संपत्ति किसी भी रूप में किसी निजी व्यक्ति एवं संस्था को नहीं मिलनी चाहिए। धर्म स्थलों का सही संरक्षण संवर्धन और संचालन मात्र संत समाज ही कर सकता है। इसलिए किसी भी सूरत में धार्मिक संपत्तियों पर अवैध रूप से कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्री चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज एवं पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि भारत अनादि काल से ऋषि-मुनियों और संत महापुरुषों की तपस्थली रहा है और अध्यात्म एवं संस्कृति भारतीय मूल के कण-कण में विराजमान है। धार्मिक संपत्तियों पर गलत नजर रखने वालों के खिलाफ सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन की जीत यह साबित करती है कि सत्य को कभी छुपाया नहीं जा सकता। सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय पूरे भारत के लिए एक मिसाल बनेगा। स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत निर्मल दास, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह, स्वामी हरिचेतनानन्द, स्वामी कपिल मुनि, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, बाबा बलराम दास हठयोगी, स्वामी हरिवल्लभ शास्त्री, महंत दामोदर दास, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी भगवतस्वरूप, महंत दुर्गादास ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया। 

 

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