देहरादून समाचार-इस वर्ष भी कोनोना काल के बीच रक्षा बंधन का त्योहर सादगी व सावधानी में मनाया। रक्षा बंधन का पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है। इस दिन रक्षा बंधन के पर्व में सभी कन्याएं व युवती एवं महिलाएं राखी के पवित्र बंधन के पर्व पर राखी के दिन एक स्नेह की डोर एक वृक्ष को बांधे और उस वृ्क्ष की रक्षा का जिम्मेदारी अपने पूरे लें। पेड -पौध बिना किसी भेदभाव के सभी प्रकार के वातावरण में स्वयं को अनुकुल रखते हुए, मनुष्य जाति को जीवन दे रहे होते है। इस धरा को बचाने के लिये राखी के दिन वृक्षों की रक्षा का संकल्प लेना, बेहद जरूरी हो गया है।इस दौरान बहनों ने अपने भाइयों को पवित्र रक्षा की डोर से भाइयों की कलाई पर राखी बांधी, वहीं इसी के साथ एक डोर स्नेह कि वृक्षो पर उनकी रक्षा के लिए भी बांधे।
कहते हैं । (100) सौ भाइयों के समान 1 वृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधने पर उनकी रक्षा होती है। वही इस मौके पर करनपुर देहरादून निवासी प्रज्ञा सिंह व कोमल सिंह, इन दो बहनों ने अपने भाइयों के स्थान पर वृक्षों को बड़ा भाई तरह और उनकी रक्षा की कामना करते हुए इस पर्यावरण मित्र के रुप में सभी को इन वृक्षों की छाया व जीवन दान मिले । इसी को देखते हुए वृक्षों पर भी रक्षाबंधन बांधी गई।
आईये हम सब मिलकर राखी का एक धागा बांधकर एक वृक्ष की रक्षा का वचन लें। वृक्षों को देवता मानकर पूजन करने मे मानव जाति का स्वार्थ निहित होता है। जो प्रकृति आदिकाल से हमें निस्वार्थ भाव से केवल देती ही आ रही है, उसकी रक्षा के लिये भी हमें इस दिन कुछ करना चाहिए।सबसे महत्वपूर्ण है कि आप जीवन का उत्सव मनाये।आज के सीमित परिवारों में कई बार, घर में केवल दो बहने या दो भाई ही होते है, इस स्थिति में वे रक्षा बंधन के त्यौहार पर मासूस होते है कि वे रक्षा बंधन का पर्व किस प्रकार मनायेगें। उन्हें कौन राखी बांधेगा। या फिर वे किसे राखी बांधेगी। इस प्रकार कि स्थिति सामान्य रुप से हमारे आसपास देखी जा सकती है। आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, जो यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है। वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है। उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है। रक्षा बंधन का त्योहर भारतीय परम्पराओं का यह एक ऎसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है।