हरिद्वार समाचार– श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में सन्यासी, उदासीन एवं निर्मल संप्रदाय के अखाड़ों की बैठक में भूमि आवंटन को लेकर चर्चा की गई। जिसके बाद संतो ने चण्डी घाट पहुंचकर महामंडलेश्वर नगर का मौका मुआयना किया। प्रैसवार्ता करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि बैरागी अखाड़ों को भूमि आवंटन का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जिसके बाद सन्यासी उदासीन एवं निर्मल संप्रदाय के संतों को भी भूमि आवंटित की जाए साथ ही मूलभूत सुविधाएं प्रदान कर उनकी परंपराओं के अनुसार मेला संपन्न कराया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए मेला अधिकारी और आईजी संजय गुंज्याल को जानकारी दी गई है कि संतो को कितनी भूमि आवंटित की जानी है। उन्होंने कहा कि बैरागी संतो ने भव्य रूप से अपने टेंट शिविर एवं खालसे स्थापित कर लिए हैं, जोकि मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसलिए सभी तेरह अखाड़ों को समान रूप से भूमि आवंटित की जाए। सरकार द्वारा एक शाही स्नान कम किए जाने के निर्णय को अखाड़ा परिषद ने नकार दिया है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि सरकार द्वारा अखाड़ा परिषद के साथ की गई बैठक में चार शाही स्नान का निर्णय लिया गया था। जोकि सर्वसम्मति से पारित किया गया था। अब सरकार यदि एक शाही स्नान को कम करने का निर्णय लेती है तो उसे अखाड़ा परिषद कतई स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि कुंभ को लेकर कोई भी निर्णय अखाड़ा परिषद के साथ वार्ता करने के बाद ही सरकार द्वारा लिया जाता है। यदि सरकार यह निर्णय संतों पर थोपना चाहती है तो संत इसे कतई स्वीकार नहीं करेंगे। मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि संतो ने जो मांग रखी है उसके लिए उच्च अधिकारियों से वार्ता की जाएगी। क्योंकि इतनी बड़ी व्यवस्था को एकदम कर पाना संभव नहीं है। जिस कारण कोई भी व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसलिए उच्च अधिकारियों से वार्ता करने के बाद ही इस संबंध में कोई भी निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की जांच और तेजी से कराई जाएगी। साथ ही सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन भी कराया जाएगा। बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरी, श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत नारायण गिरी, महंत रविन्द्रपुरी, मुखिया महंत भगतराम, मुखिया महंत दुर्गादास, श्रीमहंत दिनेश गिरी, श्रीमहंत रामरतन गिरी, श्रीमहंत लखनगिरी, महंत केशवपुरी आदि संत मौजूद रहे।

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