हरिद्वार, राजकीय पेंशनर समन्वित मंच ने मुख्यमंत्री धामी को पत्र लिखकर कार्मिक मामलों में उदारता दिखाने का अनुरोध किया है। पत्र में 30 जून व 31 दिसम्बर को सेवानिवृत्त कार्मिकों को एक नोशनल वेतन वृद्धि देने सम्बन्धी 31 दिसम्बर 2024 के शासनादेश में संशोधन करने की मांग कीगई है।
राजकीय पेंशनर समन्वित मंच के मुख्य संयोजक जे पी चाहर के हस्ताक्षर युक्त पत्र में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2006 के बाद 30 जून को और 2016 के बाद 30 जून व 31 दिसम्बर को रिटायर हुए सभी कार्मिकों को पेंशन में एक इन्क्रीमेंट जोड़ने के आदेश पिछले साल जून में किये हैं जबकि उत्तराखण्ड शासन ने यह लाभ अप्रेल 23 के बाद से लागू किया है जिससे पेंशनर में भारी असंतोष व्याप्त है।
श्री चाहर ने पत्र में दोनों राज्यों के शासनादेशों की प्रति संलग्न कर भेजते हुए लिखा है कि उत्तराखण्ड शासन ने ग्रेच्यूटी, राशिकारण, अवकाश नकदीकरण जैसे दूसरे सेवानेवत्तिक देयों की गणना में वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया है जबकि उत्तर प्रदेश में पेंशनर को ये सभी सुविधा मिलरही हैं।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रायः उत्तर प्रदेश की तुलना में उत्तराखण्ड शासन कार्मिक मामलों में उदार रहा है किंतु इस प्रकरण में पेंशनर्स के साथ घोर अन्याय किया गया है। शासनादेश जारी होने के कुछ ही दिनों बाद गत माह मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में संशोधन की मांग के बावजूद अभी कोई कार्यवाही नहीं होने से पेंशनर्स में नाराजगी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सीधे हस्तक्षेप का आग्रह करते हुए सेवानिव्रत्ति के अगले दिन से ही सभी सेवानेवर्त्तिक देयकों में नोशनल वेतन वृद्धि का लाभ देने की मांग की गई है। मुख्य संयोजक ने उत्तराखण्ड शासन पर अनियमितता करने का आरोप लगाते हुए इस बड़ी विसंगति को दूर करने की मांग की है और शासनादेश में व्यापक संशोध नही किये जाने पर पेंशनर संगठन की ओर से आंदोलन की चेतावनी दी है ।