हरिद्वार, 02 मार्च। माननीय केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने पतंजलि को आने वाले समय का विश्व समाधान केंद्र बताते हुए कहा कि चाहे चिकित्सा का क्षेत्र हो या शिक्षा का, पतंजलि संस्थान का वर्चस्व पूरे विश्व में होगा। आज पतंजलि केवल एक संस्था ही नहीं, बल्कि भारत और भारतीयता के आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाला एक विचार है। पतंजलि राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका निभा रहा है। उन्होंने योगऋषि स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को योग और आयुर्वेद में किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए इसे एक जनांदोलन बताया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री देवभूमि हरिद्वार स्थित विश्वप्रसिद्ध पतंजलि विश्वविद्यालय के वार्षिकोत्सव समारोह ‘अभ्युदय’ में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव और कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को ‘अभिनंदनपत्र सम्मान’ से सम्मानित भी किया गया।
भारत के शिक्षा मंत्री ने पतंजलि विश्वविद्यालय के वार्षिकोत्सव ‘अभ्युदय’ को भारत की ज्ञान परम्परा का प्रतीक बताते हुए कहा कि पतंजलि संस्थान ज्ञान की प्राचीन परम्पराओं और आधुनिकता के अभिनव समन्वय से देश की महान सेवा कर रहा है। उन्होंने योग और आयुर्वेद को दुनिया की आवश्यकता बताते हुए स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भारत की इस महान परंपरा को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि जब योग केवल बुजुर्गों और साधु-संतों की बात मानी जाती थी, तब योगऋषि स्वामी रामदेव ने इसे जनांदोलन का रूप देने का काम किया। आज देश का शायद ही कोई गांव या क़स्बा होगा, जहां योग की पहुंच ना हुआ हो। पतंजलि के अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि यूनेस्को ने भी योग को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधित्व सूचि में औपचारिक रूप से अंकित किया है। साथ ही, कोविड-19 के समय महामारी से निपटने और कारगर प्रतिरोध उपाय के रूप में भी योग और आयुर्वेद के महत्व का उल्लेख किया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा निति के महत्त्व को बताते हुए कहा कि पतंजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड की कमान अपने हाथ में लिए भारतीय शिक्षा एवं भारतीय ज्ञान परंपरा को उजागर करने में अहम योगदान दे रहा है। इसी कारण आने वाले समय में जब कभी भारत की सभ्यता को पुनर्लेखन की बात होगी, तब पतंजलि जैसे संस्थान का नाम सुनहरे अक्षरों से लिखा जायेगा। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुये कहा कि शिक्षा के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय को चुनना भारत को चुनना जैसे ही है। वहीं विकसित भारत की संकल्पना में युवाओं को अपने स्वास्थ्य और व्यक्तित्व निर्माण जैसे कारकों से एक स्वस्थ एवं विकसित भारत के स्वपन को साकार करने की बात कही, जिसमें पतंजलि संस्थान महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने महान व्यक्तित्व एवं चरित्र पूरी दुनिया का गढ़ा है, उसी के बल पर सारा संसार आगे बढ़ रहा है। उसी संकल्प के अनुरूप पतंजलि विश्वविद्यालय आगे बढ़ रहा है और हमारा सपना है कि ऑक्सफ़ोर्ड और कैंब्रिज से भी बड़ा विश्वविद्यालय बने। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का एक ग्लोबल यूनिवर्सिटी के रूप में बड़ा विस्तार होगा और यह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय बनेगा, इसी संकल्प को लेकर गतिशीलता के साथ कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया हमारे पीछे चलेगी, तब सही मायनों में सनातन धर्म की विश्वविजयी यात्रा होगी।
पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने स्वागत उद्बोधन देते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय और इसके सहयोगी संस्थान ‘पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन’ के कार्यकलापों को विस्तार से बताया। इसी के साथ उन्होंने कहा पतंजलि भारतीय हेरिटेज को आगे ले जाने का अभिनव कार्य कर रहा है।
कार्यक्रम में उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय और इसके सहयोगी संस्थान ‘पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन’ द्वारा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्रों में किये जा रहे कार्यों की सराहना की।
कार्यक्रम में ‘अभ्युदय’ के अन्तर्गत क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों को मेडल भेंट कर पुरस्कृत किया गया। पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मनमोहन प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह, पविवि के कुलानुशासिका एवं वार्षिकोत्सव की संयोजिका प्रो. साध्वी देवप्रिया समेत विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. मयंक कुमार अग्रवाल, दूर शिक्षा निदेशक डॉ. सत्येंद्र मित्तल, कुलसचिव आलोक कुमार सिंह, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव व विश्वविद्यालय के समस्त प्रशासनिक अधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. अनिल कुमार तथा अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।