दिनांक: 6 दिसंबर 2024

गंगा नदी में बाढ़ से बचाव और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करने के लिए रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 के तहत किए जा रहे कार्यों पर आधारित है। साथ ही, कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा इन आवश्यक कार्यों का निहित स्वार्थों के तहत विरोध करने और भ्रम फैलाने के संदर्भ में स्पष्टीकरण जारी किया जा रहा है।

रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 का उद्देश्य

गंगा और अन्य नदियों के प्रवाह को सुचारू बनाना।

कटाव और बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करना।

सिल्ट और अवरोध हटाकर नदियों को चैनलाइज करना।

गंगा नदी से निकाले गए उप खनिज का उपयोग राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में किया जाना।

इस कार्य में आधुनिक मशीनों का उपयोग किया जाता है और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती जाती हैं।

 

विगत वर्षों में बाढ़ का प्रभाव और राहत कार्य

गंगा नदी में बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण वर्ष 2023 में जनपद हरिद्वार में व्यापक क्षति हुई।

बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र:

हरिद्वार शहर के कई हिस्सों जैसे शंकराचार्य चौक, गुरुकुल कांगड़ी, चंद्राचार्य चौक सहित अन्य स्थानों में जलभराव।

लक्सर तहसील के शेरपुर बेला, दल्लावाला, चंद्रपुरी खादर, जोगा वाला और सैकड़ों ग्रामों में जलभराव।

आपदा से हुई क्षति:

पांच व्यक्तियों की मृत्यु और दो व्यक्ति घायल।

लगभग 250 भवन क्षतिग्रस्त।

111 गांवों के 3894 परिवार प्रभावित।

प्रभावित व्यक्तियों की संख्या: 15796।

कुल 28 करोड़ रुपये की फसलें नष्ट।

राहत कार्य:

प्रभावितों के लिए पांच राहत केंद्र बनाए गए।

राहत एवं बचाव कार्य के लिए कुल 42 टीमें लगाई गईं।

तात्कालिक रूप से 245 लाख रुपये क्षतिग्रस्त संपत्तियों हेतु आवंटित किए गए।

खाद्य एवं राहत सामग्री के वितरण में 322 परिवारों को 10 लाख रुपये से अधिक की सहायता दी गई।

सड़क मार्ग:

48 सड़क मार्ग बंद हुए या क्षतिग्रस्त हुए।

गंगा में बाढ़ के कारण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की मांग:

विगत वर्ष गंगा में बाढ़ के कारण उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग द्वारा गंगा कटाव से बचाव कार्यों के लिए धनराशि की मांग की गई थी।

यह धनराशि कनखल एवं शहरी क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग को संभावित नुकसान से बचाने के लिए प्रस्तावित की गई थी।

क्यूनेट खुदान और सिल्ट प्रबंधन:

प्रतिवर्ष गंगा में आने वाली बाढ़ से जमा होने वाले सिल्ट को हटाने के लिए श्यामपुर कांगड़ी और लक्सर सहित कई क्षेत्रों में क्यूनेट खुदान कर गंगा की धारा को सीधा करने के लिए सिंचाई विभाग को लाखों रुपये की धनराशि आवंटित की जाती है।

एक तरफ जहां क्यूनेट खुदाई के लिए विभागों को धनराशि दी जाती है, वहीं रिवर ड्रेजिंग के तहत क्यूनेट खुदान कर गंगा की धारा को चैनलाइज किया जाता है।

इससे न केवल गंगा का प्रवाह बेहतर होता है, बल्कि शासन को राजस्व की प्राप्ति होती है और राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में उप खनिजों की आपूर्ति भी सुनिश्चित होती है।

 

अवैध खनन पर कार्रवाई

अवैध खनन के खिलाफ शासन की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अप्रैल 2024 से नवंबर 2024 तक सख्त कार्रवाई की गई।

स्टोन क्रेशरों पर आरोपित धनराशि:

कुल 138 स्टोन क्रेशरों पर 10 करोड़ 2000 रुपये का अर्थदंड।

अवैध खनन कर्ताओं/भंडारकर्ताओं पर आरोपित धनराशि:

161 प्रकरणों में 14 करोड़ 1342000 रुपये का अर्थदंड।

वाहनों पर वसूली गई धनराशि:

276 वाहनों से कुल 92 लाख रुपये का अर्थदंड。

 

रिवर ड्रेजिंग कार्य और माननीय न्यायालय के आदेश

गंगा नदी में रिवर ड्रेजिंग का यह कार्य दिनेश चंदोला आदि रिट याचिकाओं में माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

कार्यवाही में सभी तकनीकी और पर्यावरणीय मानकों का पालन किया गया है।

 

रिवर ड्रेजिंग के लाभ

गंगा नदी को चैनलाइज किया जा रहा है, जिससे आगामी मानसून में बाढ़ से बचाव होगा।

गंगा से निकले उप खनिजों का उपयोग राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं में किया जा रहा है, जो विकास और आपदा प्रबंधन दोनों में सहायक है।

 

निष्कर्ष

हरिद्वार जैसे धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र में गंगा नदी के प्रवाह और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। रिवर ड्रेजिंग नीति 2021 के तहत किए जा रहे कार्य, बाढ़ से बचाव के उपाय, और अवैध खनन के खिलाफ सख्त कार्रवाई लगातार जारी रहेगी।

उप जिलाधिकारी
जिला खान अधिकारी
हरिद्वार, उत्तराखंड

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