हरिद्वार, 25 अप्रैल। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल की प्रबंधकारिणी कमेटी के विवाद में एसडीएम कोर्ट से अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह के नेतृत्व वाली प्रबंधकारिणी कमेटी के पक्ष में फैसला आने पर अखाड़े के संतों ने इसे असत्य पर सत्य की जीत बताते हुए हर्ष जताया और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि एसडीएम कोर्ट का फैसला अखाड़े के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। फैसले को लेकर अखाड़े के संतों में हर्ष की लहर है। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज 1993 से अखाड़े के अध्यक्ष हैं। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज वेदांती संत हैं। उनके नेतृत्व में अखाड़ा परंपरांओं का पालन करते हुए सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान किया जा रहा है। लेकिन कुछ असामाजिक तत्व जिनका अखाड़े से कभी कोई संबंध नहीं रहा, लंबे समय से झूठे तथ्यों के सहारे अखाड़े की संपत्ति पर कब्जा और अखाड़े की धार्मिक परंपरांओं को बाधित करने का प्रयास कर रहे थे। झूठे तथ्यों का सहारा लेकर प्रशासन को भी गुमराह करते रहे असामजिक तत्व एसडीएम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह बेनकाब हो गए हैं। निर्मल अखाड़े के संतों ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष से अखाड़े के खिलाफ षड़यंत्रों में शामिल रहे संतो का संत समाज से बहिष्कार करने की मांग भी की। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि इस संबंध में शीघ्र ही अखाड़े के संतों को एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही अखाड़ा परिषद से भेंट करेगा। आदियोगी महापीठ के परमाध्यक्ष स्वामी आदियोगी महाराज ने श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव ंिसंह महाराज, कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज व अखाड़े के सभी संतों को बधाई देते हुए कहा कि फैसले से सनातन धर्म की जीत हुई है। धर्म से खिलवाड़ करने वालों का पतन निश्चित होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज संत समाज के आदर्श हैं। उनके नेतृत्व में अखाड़ा सनातन परंपरांओं का पालन करते हुए मानव कल्याण में निरंतर योगदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि पूरा संत समाज श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल और श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह के साथ है। असामाजिक तत्वों को कभी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। इस अवसर पर महंत अमनदीप सिंह, महंत खेम सिंह, महंत बीर सिंह, महंत गज्जन सिंह, संत जसकरण सिंह, महंत रवि सिंह, महंत निर्भय सिंह आदि संत मौजूद रहे।