नई दिल्ली, 08 फरवरी : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन) के तत्वाधान में भारत मण्डपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड बुक फेयर (World Book Fair) में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि ‘वर्ल्ड बुक फेयर’ जैसे आयोजन जनोपयोगी हैं जिनमें विश्वस्तरीय ज्ञानपरक साहित्य सुलभ हो पाता है। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग-आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई है।
योग के विषय में आचार्य जी ने कहा कि गौरव की बात है कि योग की स्वीकार्यता आज पूरे विश्व में हो गई है। पूरे विश्व में विभिन्न भाषा-भाषी लोग समान रूप से किसी शब्द के अर्थ को जानता है तो वह योग है। योग के व्यापक गहन अर्थ को न भी जानते हों तो वह इतना तो जानते हैं कि यह कुछ ब्रिदिंग एक्सरसाइज, फिजिकल एक्सरसाइज, कुछ आसन, प्राणायाम के विषय में है।
आयुर्वेद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को आयुर्वेद के रूप में स्थापित करने के लिए वैश्विक स्तर पर जो कार्य होना चाहिए था, वस्तुतः वह नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद अपने आप में
सम्पूर्ण विज्ञान है। आयुर्वेद स्वतंत्र है तथा इसकी किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं है। उन्होंने कहा कि दैनन्दिन जीवन में एलोपैथी सिंथेटिक औषधी के रूप में है। आयुर्वेद हमारे जीवन में रचा-बसा है जबकि एलोपैथी मजबूरी है। आयुर्वेद को यदि औषधि विज्ञान या जड़ी-बूटी के रूप में व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसके लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति के अनुरूप पदार्थों का उपयोग करते हुए प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन का प्रयास करना चाहिए।
आचार्य जी ने बताया कि पतंजलि ने वर्ल्ड हर्बल इंसाइक्लोपीडिया के रूप में एक महाग्रंथ का प्रकाशन किया है जिसमें 32 हजार औषधीय पौधों का सचित्र वर्णन है। इससे पहले केवल 12 हजार औषधीय पौधों की जानकारी ही उपलब्ध थी। इसके अतिरिक्त हमने आयुर्वेद आधारित पुस्तक सौमित्रेयनिदानम् का प्रकाशन किया जिसके द्वारा हमने संसार में पनप रहे नए रोग, नए विकार, नई व्याधियों का नवायुगाचार के अनुरूप स्वरूप, लक्षण व निदान सचित्र प्रस्तुत कर एक चूनौतिपूर्ण कार्य किया है। इसमें शरीर संरचना के आधार पर 14 खण्डों में विभाजित करते हुए 6821 श्लोकों में 471 मुख्य व्याधियों सहित लगभग 500 व्याधियों का सचित्र वर्णन किया गया है। साथ ही ग्रन्थ के माध्यम से आयुर्वेद की परम्परा में प्रथम बार 2500 से भी अधिक चिकित्सकीय अवस्थाओं (Clinical Conditions) का वर्णन किया गया है।
पतंजलि के स्वदेशी उत्पादों के विषय में उन्होंने कहा कि पतंजलि के उत्पाद इस दृष्टि से निर्मित किए जाते हैं कि उनका उपभोग हमारा परिवार कर रहा है। इसीलिए हमारे उत्पादों की गुणवत्ता व शुद्धता के सभी मापदण्डों पर खरे रहते हैं। हमारे लिए देश व्यापार नहीं, परिवार है। उन्होंने सभी उत्पादक कम्पनियों से आह्वान किया कि जो भी उत्पाद बनाएँ अपने परिवार को ध्यान में रखते हुए बनाएँ।
आचार्य जी ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आप स्वयं या देश के लिए जो भी कार्य कर रहे हैं वह केवल आज के लिए न करें, अपितु यह सोचकर करें कि उस कार्य का लाभ उन्हें भविष्य में किस प्रकार मिल सकता है।
आचार्य जी ने कहा कि हमने पतंजलि के माध्यम से योग, आयुर्वेद, शिक्षा, चिकित्सा, अनुसंधान, प्राचीन पाण्डुलिपि आधारित ग्रंथ तथा प्रेरणादायक आध्यात्कि पुस्तकों का प्रकाशन किया है। साथ ही भारतीय शिक्षा बोर्ड के अन्तर्गत स्वदेशी शिक्षा व्यवस्था की नींव रखते हुए कक्षा-1 से कक्षा-10 तक के पाठ्यक्रम का प्रकाशन भी किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *