हरिद्वार समाचार– कृषि अवसंचरना निधि कार्यशाला/बैठक परियोजना निदेशक हरिद्वार की अध्यक्षता में आज विकास भवन स्थित सभागार कक्ष मंे सम्पन्न हुई। है।
बैठक में मुख्य कृषि अधिकारी, हरिद्वार ने सभी उपस्थित सदस्यों को योजना के अन्तर्गत आयोजित गत बैठक की कार्यवाही तथा योजना के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए अवगत कराया कि कृषि अवसंरचना निधि केन्द्र पोषित योजना है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जनपद हरिद्वार को रू0 25.00 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित है। योजना की मुख्य-मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार है:-
1. योजना का उद्देश्य:- प्रदेश में कृषि अवसंरचना में सुधार के क्रम में प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से फसलोपरान्त प्रबन्धन अवसंरचना एवं सामुदायिक खेती की संपत्ति के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्घकालीन ऋण रिक्त सुविधा को संगठित करना है।
2. पात्र परियोजनाए:- यह योजना मूल्य श्रृंखला की स्थापना एवं प्रमुख तत्वों के आधुनिकीकरण की सुविधा प्रदान करेगी, जिसमें शामिल है:-
(क) फसलोपरान्त प्रबन्धन परियोजना जैसे:- 1-ई-विपणन प्लेटफाॅर्म सहित आपूर्ति श्रृंखला सेवाएं, 2- वेयरहाउस, 3-साईलोज, 4-पैक हाउस, 5-जांच इकाईयां, 6-छंटाई और ग्रेडिंग इकाईयां, 7-शीत श्रंृखला, 8-लाॅजिस्टिक सुविधाएं, 9-प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्र, 10-पकाई केन्द्र आदि।
(ख) सामुदायिक खेती परिसंपत्ति के निर्माण के लिए व्यवहार्य परियोजनाएं जिसमें निम्नलिखित शामिल है:- 1-जैविक आदानों का उत्पादन, 2-जैव-उत्पे्ररक उत्पादन इकाई, 3-सक्षम एवं सटीक कृषि के लिए अवसंरचना, 4-निर्यात कलस्टरों सहित फसलों के कलस्टरों के लिए आपूर्ति श्रृंखला अवसंरचना प्रदान करने हेतु चिन्हित परियोजनाएं, 5-पी0पी0पी0 के अन्तर्गत सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के निर्माण अथवा फसलोंपरान्त प्रबन्धन परियोजनाओं हेतु केन्द्रीय/राज्य/स्थानीय सरकारों अथवा एजेंसियों द्वारा प्रोत्साहित परियोजना।
3. वित्तीय सुविधा हेतु पात्र लाभार्थियों का आकार:- बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पी0एम0सी0एस0), विपणन सहाकारी समितियां, किसान उत्पादक संगठनों (एफ0पी0ओ0), स्वयं सहायता समूहों (एस0एच0जी0), किसानों, संयुक्त देयता समूहों (जे0एल0जी0), बहुउद्देश्य सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअप तथा केन्द्र/राज्य एजेंसी अथवा स्थानीय निकाय द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक/निजी भागीदारी परियोजनाओं के लिए ऋण के रूप में रू0 25.00 करोड़ प्रदान किया जाना है। पी0एस0एस0 जिन्होनें अपने प्रचालनों के लिए डिजिटाइलेशन को अपनाया है, उन्हंे स्कीम के अन्तर्गत प्राथमिकता दी जाएगी।
4. योजना की कार्यान्वयन अवधि:- यह योजना वर्ष 2020-21 से 2029-30 तक परिचालन में होगी।
5. सरकारी बजटीय सहायता:- बजटीय सहायता के अन्तर्गत पी0एम0यू0 की प्रशासनिक लागत के साथ-साथ ब्याज छूट एवं ऋण गारंटी के लिए प्रदान की जाएगी।
वित्तपोषण सुविधा के तहत 2 करोड़ रूपए की सीमा तक सभी ऋण 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज छूट पर होगी। यह छूट अधिकतम 7 वर्षाें की अवधि के लिए होगी। 2 करोड़ रूपए से ज्यादा ऋण के मामले में तब ब्याज छूट 2 करोड़ रूपए तक सीमित होगी। कुल वित्तपोषण सुविधा से निजी उद्यमियों के लिए निधिकरण की सीमा एवं प्रतिशत राष्ट्रीय निगरानी समिति द्वारा निर्धारित की जा सकती है।
2 करोड़ रूपए तक के ऋण के लिए सूक्ष्य एवं लघु उद्यम योजना हेतु ऋण गारंटी निधि संस्था (सीजीटीएमएसई) के तहत इस वित्तपोषण सुविधा से पात्र उधारकर्ताओं के लिए ऋण गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा। इस कवरेज के लिए शुल्क भारत सरकार द्वारा अदा किया जाएगा। एफपीओ के मामले मंे ऋण गारंटी डीएसीएंडएफडब्ल्यू के संवर्धन योजना एफपीओ के तहत सृजित सुविधा से प्राप्त की जा सकती है।
डीएसीएंडएफडब्ल्यू के तहत किसान कल्याण कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति योजना को केन्द्रीय स्तर तथा राज्य स्तर पर पीएम-किसान की राज्य पी0एम0यू0 को पी0एम0यू0 सहायता प्रदान करेगी। ज्ञान भागीदारों की सेवाएं लक्ष्य परियोजनाओं के लिए निर्यात कलस्टरों तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं में अंतराल सहित कलस्टरों की पहचान करने के लिए लगाई जाएंगी तथा लाभार्थियों की सहायता करने के लिए व्यवहार्य परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएं।
लीड बैंक अधिकारी, हरिद्वार के प्रतिनिधि ने जनपद में बैंकवार लक्ष्य सापेक्ष प्राप्त प्रस्तावो की अध्यतन स्थिति की भी जानकारी दी।
बैठक मंे मुख्य कृषि अधिकारी, हरिद्वार ने योजना का प्रचार-प्रसार सही ढंग से करने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि वह लगातार कृषकों एवं कृषक संगठनों से लगातार सम्पर्क कर योजना की जानकारी देना सुनिश्चित करें।
बैठक मंे निर्णय लिया गया कि महाप्रबन्धक, जिला उद्यौग केन्द्र, हरिद्वार आगामी दो दिनों में फूड प्रोसेसिंग एण्ड एग्री बिजनेस इन्टर प्रिन्योर से जुड़ी इकाईयों के स्वामियों को बुलाकर एक बैठक करेंगे, जिसमें उन्हें इस योजना में लाभ लेने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा।
बैठक मंे जिला प्रबन्धक, नाबार्ड ने अवगत कराया कि योजना के अन्तर्गत 8 जुलाई 2020 के बाद स्वीकृत सभी इकाईयां जो कृषि अवसरंचना निधि में अनुमन्य गतिविधियों के लिए ऋण लिया है। इस योजना के अन्तर्गत पात्र होंगें। जिला प्रबन्धक, लीड बैंक, पी0एन0बी0 अपने स्तर से तीन दिनों के अन्दर एक मिटिंग सभी बैंकों के जनपदीय नियत्रंण अधिकारियों को बुलाकर उसकी प्रगति से अवगत कराए, जिससे जिलाधिकारी, हरिद्वार महोदय को वास्तविक स्थिति से अवगत कराया जा सकें। उन्होंने अवगत कराया कि यदि कोई प्रोजेक्ट बैंक से एन0पी0ए0 हो जाता है तो उसे ब्याज पर अनुदान नहीं मिलेगा, लेकिन वह जब सामान्य हो जाएगा तो उसे अनुदान मिल सकता है। यह योजना 2020-21 से 2029-30 तक है।
बैठक में उत्तम शुगर मील, लिब्बरहेड़ी से श्री लोकेन्द्र सिंह लाम्बा वायस प्रेसिडेंट ने अवगत कराया कि उनकी कम्पनी 100ग्राम व 10 ग्राम में पैकिंग करती है, जिसके लिए पैक हाउस एवं वेयर हाउस की आवश्यकता है। इकबालपुर चीनी मील से श्री सुरेश शर्मा, सी0जी0एम0 ने भी वेयर हाउस की आवश्यकता बताई। इसी प्रकार लक्सर मील से श्री पवन ढिंगरा, जी0एम0केन ने भी अपनी चीनी मील पैक हाउस एवं वेयर हाउस निर्माण की आवश्यकता बताई।
बैठक मंे उपस्थित औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों ने अवगत कराया कि एच0आर0डी0ए0 से वर्तमान में नक्शा पास कराने पर 8 प्रतिशत सर्विस चार्ज वसूला जाता है, जिससे परियोजना की लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि होम स्टे योजना एवं वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली योजना में जैसे भू उपयोग परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती है, उसी प्रकार कृषि अवसरंचना निधि के लिए भी इसकी आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। साथ ही एच0आर0डी0ए0 में जो डवलपमेन्ट चार्ज लिए जाते है, उनसे छूट मिल जाए तो प्रगति अच्छी हो सकती है।
बैठक के अन्त में सभी सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि उपरोक्त योजनाओं की डी0पी0आर0 तत्काल उपलब्घ करायी जाये