हरिद्वार, 4 नवम्बर। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युत्यानंद तीर्थ महाराज ने शंकराचार्य परिषद पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप को कानूनी नोटिस भी भेजा है। नोटिस में स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ ने पूछा है कि शंकराचार्य परिषद का गठन किस शंकराचार्य की स्वीकृति से हुआ है और शंकराचार्य परिषद को शंकराचार्य पद पर नियुक्त के लिए शास्त्रार्थ आयोजित करने का अधिकार है या नहीं। पत्रकारों को जानकारी देते हुए स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ ने कहा कि कुछ लोग शंकराचार्य परंपरा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ भूमा पीठ कानूनी कार्रवाई करेगी। स्वामी अच्यूतानन्द तीर्थ महाराज ने कहा कि शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष को शंकरचार्य पद के लिए शास्त्रार्थ आयोजित करने का कोई अधिकार नहीं है। इस संबंध में काशी विद्वत परिषद को भी कानूनी नोटिस भेजा गया है। अखाड़ों को भी शंकराचार्य पद पर नियुक्ति करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि एक शंकराचार्य को दूसरे शंकराचार्य के क्षेत्र में जाने से पहले अनुमति लेनी होती है। वक्तव्य जारी करने से पहले भी एक दूसरे की अनुमति जरूरी होती है। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शंकराचार्य बनने के बाद से विवाद चल रहा हैं। अब एक बार फिर शंकराचार्य पद को विवादित बनाया जा रहा है। वे इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में रखेंगे और पक्षकार बनने के लिए अपने अधिवक्ताओं से विचार विमर्श कर रहे हैं।