हरिद्वार, 8 मई। नेपाल के काठमांडू से आए हिंदू श्रद्धालुओं ने श्री गरीबदासीय आश्रम में संत समाज के सानिध्य में तीन बालकों का उपनयन संस्कार संपन्न कराया। स्वामी रविदेव शास्त्री ने बालकों के उपनयन संस्कार के बाद उन्हें दीक्षा प्रदान की। आलोक गौतम, सचिन पौड़े व अश्विन शर्मा तीनों बालकों को आशीर्वाद देते हुए और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में सनातन धर्म संस्कृति और परंपरांओं को आत्मसात करने के लिए बालकों के माता पिता बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि अध्यात्म की नगरी हरिद्वार के गंगा तट पर संतों के सानिध्य में किए जाने वाले धार्मिक संस्कार विशेष फलदाई होते हैं। हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में उपनयन संस्कार 10वां संस्कार है। इसे यज्ञोपवित या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है। इसका अर्थ है गुरू के पास जाना। इसीलिए प्राचीन काल में जब बालक शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरू के पास जाते थे, तो शिक्षा शुरू करने से पूर्व उनका उपनयन संस्कार कराया जाता था। इस संस्कार को करने से बच्चे की भौतिक और आध्यात्मिक प्रगति होती है। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि नेपाल के श्रद्धालुओं के हरिद्वार आकर संतों के सानिध्य में उपनयन संस्कार संपन्न कराने से भारत और नेपाल के संबंध और मजबूत होंगे। बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद व स्वामी प्रबोधानंद महाराज ने बालकों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि उपनयन संस्कार ईश्वरीय ज्ञान के अधिग्रहण और ब्रह्मचर्य के रूप में एक नए और अनुशासित जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। स्वामी रूपेंद्र प्रकाश व स्वामी आदियोगी ने कहा कि प्राचीन काल से ही उपनयन संस्कार की बहुत ज्यादा मान्यता है। जनेऊ में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन सूत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं। उपनयन संस्कार करने से शिशु को बल, ऊर्जा और तेज की प्राप्ति होती है और शिशु में आध्यात्मिक भाव जागृत होता है। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने अपने संदेश में बालकों के उज्जवल भविष्य की कामना की और उनके माता पिता को बधाई देते हुए कहा कि इससे समाज में धर्म संस्कृति के प्रति आस्था बढ़ेगी। स्वामी हरिहरानंद ने बताया कि बालकों के पिता ने ब्रह्मलीन गुरूदेव स्वामी डा.श्यामसुंदर दास शास्त्री महाराज से दीक्षा प्राप्त की थी और पूज्य गुरूदेव की प्रेरणा से अपने बालकों का उपनयन संस्कार संपन्न कराया। इससे भारत और नेपाल के रिश्तों में और मजबूती आएगी। इस अवसर पर बाबा हठयोगी, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी आदियोगी, महंत कपिल मुनि, स्वामी ऋषिरामकृष्ण, स्वामी शिवानंद भारती, सतपाल ब्रह्मचारी, महंत दामोदर दास, स्वामी हरिहरानंद, महंत दिनेश दास, स्वामी कृष्णदेव, महंत गोविंददास, स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी ज्ञानानंद, महंत श्याम प्रकाश, महंत जमनादास, स्वामी परमानंद, महंत निर्मल दास सहित सभी तेरह अखाड़ों के संतों ने बालकों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम का संचालन पदम प्रकाश सुवेदी ने किया। इस दौरान थानेश्वर पौड़े, लीलाधर पौड़े, सुरेश पौड़े, धनमाया, भगवती, गौमा, लक्ष्मण थापा, विष्णु थापा, गुलबहादुर थापा, विजय शर्मा, रेखा, कमला, विनायक शर्मा, वरदान शर्मा, डा.रमेशचंद शर्मा, डा.हरिगोपाल शास्त्री आदि मौजूद रहे।