हरिद्वार, 16 जुलाई। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रावण मास भगवान शिव को अत्यन्त प्रिय है। श्रावण में महादेव शिव की आराधना, पूजन का विशेष महत्व है। श्रावण में शिव आराधना करने वाले भक्तों को विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर परिसर में सावन पर्यन्त चलने वाली विशेष शिव अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव की कृपा का पात्र बनने के लिए श्रद्धालु भक्त सच्चे श्रद्धाभाव से महादेव शिव का स्मरण करते हुए गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, गन्ने के रस आदि से शिवलिंग पर अभिषेक करें। अभिषेक के पश्चात उन्हें बेलपत्र, समीपत्र दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, आॅक मदार, ज्वांफूल, कनेर, राई फूल आदि अपर्ण करें। विधि विधान से अभिषेक व पूजन करने से भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। देवों के महादेव भगवान शिव बेहद भोले हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। अत्यन्त दयालु व कृपालु भगवान शिव भक्तों में किसी प्रकार का भेद नहीं रखते और सभी पर समान रूप से कृपा बरसाते हैं। शिव भक्त कांवड़ियों को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान नियमों का पालन करें। प्रशासन का सहयोग करें। गंगा की स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग करें। इस दौरान स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा आदि सहित श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।