हरिद्वार– हिमाचल प्रदेश के कपिल आश्रम के महंत राधेपुरी एवं महंत प्रकाशानंद महाराज ने कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी पहुंचकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस दौरान महंत राधेपुरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में अखाड़ों की गौरवशाली परंपराए विश्व विख्यात हैं। जो पूरी दुनिया में भारत को महान बनाती हैं। संत महापुरुष संपूर्ण विश्व को ज्ञान की प्रेरणा देकर मानव कल्याण के लिए समर्पित रहते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रव्रिद्रपुरी महाराज एक विद्वान अनुभवी एवं सरल संत हैं। जिनके नेतृत्व में अखाड़ा परिषद द्वारा संतो से जुड़े मुद्दों का समय-समय पर निवारण किया जाएगा और उनके अनुभव का आगामी कुंभ मेलों में संपूर्ण संत समाज को लाभ होगा। महंत प्रकाशानंद महाराज ने कहा कि संतों का कार्य समाज में सद्भाव का वातावरण बनाकर सन्मार्ग की प्रेरणा देना होता है और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज वर्षों से अपने ज्ञान और विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करते चले आ रहे हैं। जिनके नेतृत्व में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अनेकों सेवा प्रकल्प प्रारंभ कर समाज को लाभ पहुंचाया है। गरीब असहाय लोगों की सहायता एवं गौ गंगा संरक्षण श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज का मूल उद्देश्य है। संत समाज को पूरा विश्वास है कि श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के नेतृत्व में अखाड़ा परिषद सभी संतो को एक मंच पर लाकर धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए कार्य करेगी और राष्ट्र रक्षा एवं धर्म रक्षा संत समाज की प्राथमिकता रहेगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने के लिए संत समाज हमेशा आगे आया है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद संपूर्ण भारत के संतो को एक मंच पर लाकर हिंदू हितों के लिए कार्य करेगी और समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर समाज का मार्गदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म और संस्कृति के प्रति जागृत करना अखाड़ा परिषद का मूल उद्देश्य होगा। साथ ही समय-समय पर धर्म संसद एवं सभाओं के माध्यम से देश की एकता अखंडता को कायम रखते हुए उन्नति की ओर कैसे अग्रसर किया जाए इस पर भी विचार किया जाएगा।