हरिद्वार, 28 अक्तूबर। भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज ने महर्षि वाल्मीकि जयंती एवं शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रामायण की रचना कर समाज को भगवान राम के जीवन आदर्शो से परिचित कराने वाले भगवान वाल्मिीकि महान ऋषि थे। उनकी शिक्षाएं सदैव प्रासंगिक रहेंगी। सभी को वाल्मिीकि रामायण का अध्ययन कर भगवान श्रीराम के जीवन आदर्शो को अनुसरण करते हुए आदर्श समाज की रचना में सहयोग प्रदान करना चाहिए। स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा सात्विकता और शीतलता तथा ऋतु परिवर्तन की द्योतक है। प्रति माह आने वाली पूर्णिमा सनातन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। पूर्णिमा का महत्व इससे ही समझा जा सकता है कि सनानत धर्म के सभी महापुरूषों की जयंती पूर्णिमा को ही मनायी जाती है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति विश्व की सबसे महान संस्कृति है। अनेक विशेषताओं को अपने समाहित किए सनातन धर्म को आज पूरी दुनिया अपना रही है। युवा वर्ग को पाश्चात्य संस्कृति का परित्याग कर सनातन संस्कृति को अपनाना चाहिए। आश्रम के प्रबंधक राजेंद्र शर्मा ने बताया कि परम पूज्यनीय गुरूजी ने हरकी पैड़ी गंगा बंदी पर रोष जाहिर किया और कहा कि विश्व के लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान करने हरकी पैड़ी आते हैं। लेकिन हरकी पैड़ी पर जल नहीं होने से उनकी आस्था को ठेस पहुंच रही है। मुख्यमंत्री को श्रद्धालु भक्तों को रही परेशानी पर ध्यान देना चाहिए।