हरिद्वार समाचार– निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर एवं श्री दक्षिण काली मंदिर के परमाध्यक्ष स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि मठ मंदिरों के अधिग्रहण के विरोध में दिल्ली से शुरू हुए संत समाज के आंदोलन को केंद्र व राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना चाहिए। संत समाज व पुरोहितों द्वारा संचालित मठ मंदिर समाज कल्याण में अहम योगदान करते हैं। मठ मंदिरों से होने वाली आय से समाज कल्याण हेतु कई प्रकल्पों का संचालन भी किया जाता है। साथ ही संकट या आपदा की स्थिति आने पर संत समाज सरकारों का भी तत्परता से सहयोग करता है। ऐसे में मठ मंदिरों का संचालन संत समाज या पुरोहितों के द्वारा ही किया जाना चाहिए। सरकारों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अत्यन्त न्यायप्रिय हैं। संत समाज को पूरी उम्मीद है कि पीएम नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सकारात्मक कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में लागू किए गए देवस्थानम् बोर्ड को भी जल्द से जल्द निरस्त किया जाए तथा हिमालयी क्षेत्र में उपेक्षित तीर्थ स्थलों के विकास के लिए सरकार संत समाज व तीर्थ पुरोहितों की मदद करे। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज व आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि मठ मंदिरों के अधिगृहण तथा देवस्थानम् बोर्ड के विरोध में चल रहे आंदोलन को लेकर पूरा संत समाज एकमत है, तथा देश भर में अधिगृहित किए गए मठ मंदिरों को अधिग्रहण से मुक्त करने तथा देवस्थानम् बोर्ड निरस्त करने की मांग को लेकर संत समाज का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात करेगा। अग्नि अखाड़े के सचिव श्रीमहंत साधनानंद, महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द, महंत कमलदास, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महामण्डलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी, महंत गर्व गिरी, स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री, स्वामी रविदेव शास्त्री आदि संत महंतों ने भी मठ मंदिरों को अधिगृहण से मुक्त करने तथा देवस्थानम् बोर्ड को तुरंत निरस्त करने की मांग की।