हरिद्वार समाचार-हरे राम आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा है कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। कनखल स्थित भगवान बाल्मीकि आनंद आश्रम में आयोजित ब्रह्मलीन बाल्मिकाचार्य स्वामी नित्यानंद महाराज के श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि स्वामी नित्यानंद महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने धर्म एवं संस्कृति की पताका को पूरे विश्व में फहराया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद महाराज की कृपा पात्र शिष्य साध्वी कृष्णानंद भारती महाराज ने कहा कि पूज्य गुरुदेव स्वामी नित्यानंद महाराज एक तपस्वी संत थे। जिन्होंने सदैव ही अपने ज्ञान के माध्यम से भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरित किया। उनके बताए मार्ग का अनुसरण करके ही धर्म एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार में सहयोग प्रदान किया जा रहा है और उनके द्वारा चलाए गए सेवा प्रकल्प में निरंतर वृद्धि कर संत समाज की सेवा की जा रही है। उन्होंने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी आत्मा सदैव व्यवहारिक रूप से उपस्थित रहती है। स्वामी प्रकट नाथ महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। निर्मल जल के समान जीवन जीने वाले स्वामी नित्यानंद महाराज ने गरीब असहाय लोगों की मदद कर सभी को मानव सेवा का संदेश दिया। युवा संतो को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्रीय एकता अखंडता बनाए रखने में सहयोग प्रदान करना चाहिए। महंत कौशलपुरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन सदैव परोपकार को समर्पित रहता है और ब्रह्मलीन स्वामी नित्यानंद महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने संपूर्ण भारत ही नहीं अपितु विश्व भर में धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन के लिए लोगों को प्रेरित किया समाज कल्याण मैं उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान मानदास महाराज, स्वामी सर्वात्मानंद, स्वामी आत्माराम, मां भवानी, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, महंत दिनेशदास, महंत श्याम प्रकाश, महंत विनोद महाराज, किशन विद्यार्थी, अमरनाथ, मुरारी भास्कर आदि संतजन मौजूद रहे।