हरिद्वार, 17 जुलाई। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि देवों के देव महादेव भगवान शिव की आराधना से मन की शुद्धि के साथ-साथ व्यक्ति के अंतःकरण की भी शुद्धि होती है और प्रेम भाव का जो अंकुर प्रस्फुटित होता है। वह भक्तों की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाता है। जिससे वह अपने मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। नीलधारा तट स्थित श्री दक्षिण काली मंदिर में श्रावण पर्यंत जारी भगवान शिव की विशेष आराधना के दौरान श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा का सार समझाते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव आदि अनादि और निराकार हैं और सृष्टि की उत्पत्ति और अंत के कारक हैं। जो अपने भक्तों का संरक्षण का उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरंपार है। जो दीन दुखी दिनानाथ के दरबार में आ जाता है। उसका कल्याण अवश्य ही निश्चित है। उन्होंने कहा कि श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। क्योंकि श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित रहता है। हमें शिव आराधना के साथ-साथ प्रकृति के संरक्षण संवर्धन का संकल्प लेना चाहिए और अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। ताकि अपना और आने वाली पीढ़ियों का जीवन संरक्षण किया जा सके। स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि पूज्य गुरुदेव द्वारा जारी शिव आराधना से अवश्य ही देश में नई ऊर्जा का संचार होता है और विश्व कल्याण की भावना जागृत होती है। भगवान शिव दया कृपा और करुणा के सागर हैं। भक्तों का भगवान के प्रति भाव और समर्पण ही सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की पहचान है। संपूर्ण उत्तर भारत में भगवान शिव की ऐसी कठिन साधना और कहीं नहीं होती। श्री दक्षिण काली मंदिर के प्रांगण में आने वाले श्रद्धालु भक्तों का उद्धार स्वतः ही निश्चित हो जाता है। इस दौरान आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद पांडे। स्वामी विवेकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत लालबाबा, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, स्वामी अनुरागी महाराज सहित सैकड़ों श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।