हरिद्वार, 3 मार्च। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि कांवड़ मेला सनातन धर्म का उत्सव है। कांवड़ में गंगा जल लेकर लौटते शिव भक्त सनातन धर्म की अनूठी विशेषताओं को प्रस्तुत करते हैं। श्री दक्षिण काली मंदिर में दर्शन के लिए आए शिवभक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि वर्ष में दो बार होने वाला कांवड़ मेला भगवान शिव की भक्ति को समर्पित है। लाखों शिव भक्त हरिद्वार से गंगाजल ले जाकर अपने अभिष्ट शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। जलाभिषेक से प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले महादेव शिव की आराधना कभी निष्फल नहीं जाती। भक्तों को शिव आराधना करते हुए महादेवी माता पार्वती का ध्यान भी अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों को शिव और शक्ति का सम्मिलित आशीर्वाद प्राप्त होता है। शिव और शक्ति की कृपा जिस भक्त पर हो जाती है। उसके तमाम बिगड़े काम संवर जाते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने का सबसे उपयुक्त अवसर है। शिवरात्रि पर सभी को पूर्ण विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें और नीलेश्वर महादेव, बिल्केश्वर महादेव और दक्ष प्रजापति आदि पौराणिक शिवालयों में जाकर दर्शन करें। ऐसा करने से भक्तों का जीवन संवर जाता है। स्वामी कैलशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि श्री दक्षिण काली मंदिर में मां दक्षिण काली के साथ भगवान शिव भी साक्षात विराजमान हैं। इस अवसर पर स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, स्वामी बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, आचार्य पवनदत्त मिश्र, पंडित प्रमोद वाजपेयी आदि मौजूद रहे।