हरिद्वार, 22 जनवरीः पतंजलि के वैज्ञानिकों ने प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के आधार पर पेट के अल्सर के उपचार के लिए मुक्ता पिष्टी की प्रभावशीलता का अध्ययन किया है। यह शोध विश्व-प्रसिद्ध Elsevier प्रकाशन के अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल, Journal of Ethnopharmacology में प्रकाशित हुआ है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्राकृतिक खनिजों का पिष्टी और भस्म के रूप में अत्यधिक चिकित्सीय महत्व है। प्राचीन ग्रंथ रसतरंगिणी में कैल्शियम युक्त औषधि मुक्ता पिष्टी का उल्लेख मिलता है, जो पेट, आंखों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में प्रभावी मानी गई है। मुक्ता पिष्टी उच्च गुणवत्ता वाले समुद्री मूल के मोतियों से निर्मित की जाती है और इसकी क्षारीय प्रकृति इसे पेट की एसिडिटी से संबंधित बीमारियों के उपचार में सहायक बनाती है।
पतंजलि के वैज्ञानिकों ने Pylorus-Ligation आधारित Wistar rat model पर इस औषधि की चिकित्सीय प्रभावशीलता का अध्ययन किया। शोध में पाया गया कि मुक्ता पिष्टी का सेवन Pylorus Ligation-induced Peptic Ulcer से राहत प्रदान करता है। साथ ही यह उपचार पाचन के लिए आवश्यक एसिडिटी के स्तर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता।
इस शोध से यह प्रमाणित हुआ है कि मुक्ता पिष्टी पेट के अल्सर के उपचार में अत्यंत प्रभावी और सुरक्षित उपाय है। यह Synthetic Proton-pump Inhibitors जैसी दवाइयों के लम्बे समय तक सेवन से उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभावों से मुक्त है और रोगी को एक स्थायी विकल्प प्रदान करती है।
यह शोध न केवल आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा की वैज्ञानिकता को प्रमाणित करता है, बल्कि पेट की गंभीर समस्याओं के लिए सुरक्षित और प्रभावी उपचार भी प्रस्तुत करता है।

यह शोध इस लिंक पर उपलब्ध हैः
https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S0378874125000613

इस उपलब्धि पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय सनातन ग्रंथों में वर्णित ज्ञान में समग्र विश्व के कल्याण की अद्वितीय शक्ति है। पतंजलि इसी ज्ञान से प्रेरित होकर जन कल्याण की दिशा में निरंतर अग्रसर है। उन्होंने इस शोध को आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक नई दिशा का परिचायक बताया।
पतंजलि अनुसन्धान संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि सनातन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के इस अद्भुत संगम में पूरे विश्व को निरोगी बनाने की अपार क्षमता है। हमारा प्रयास है कि आयुर्वेद के इस प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया जाए।
मुक्ता पिष्टी जैसे पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधियां आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ तालमेल बैठाकर जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती हैं। पतंजलि का यह प्रयास आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक आधार प्रदान करते हुए इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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