हरिद्वार, 21 जुलाई। गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में पतंजलि विश्वविद्यालय के नवप्रवेशित लगभग 272 छात्राओं तथा 150 छात्र सहित कुल 422 विद्यार्थियों का दीक्षारम्भ व उपनयन संस्कार वैदिक रीति से सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अध्यक्ष पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज व कुलपति पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने विद्यार्थियों को यज्ञोपवित धारण कराकर आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम में पूज्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि आपका सौभाग्य है कि गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर आपका उपनयन, यज्ञोपवीत दीक्षा और दीक्षारम्भ समर्थ गुरुसत्ता की पवित्र उपस्थिति में हो रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को संकल्प दिलाया कि जीवन के अंतिम श्वास तक यज्ञोपवित धारण करना है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सनातन धर्म, वेद धर्म, ऋषि धर्म तथा अपने पूर्वजों में दृढ़ता होनी चाहिए। अपनी सांस्कृतिक विरासत तथा सनातन मूल्यों के साथ हम भारत ही नहीं पूरे विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व की पूजा करो, चित्र नहीं चरित्र की पूजा करो। अपना पुरुषार्थ करो और गुरु व भगवत् कृपा से आगे बढ़ते रहो।
इस अवसर पर पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि यज्ञोपवित मात्र प्रतीक नहीं है, यह हमारे सौभाग्य का पर्व है। जीवन के पूर्वार्द्ध के बाद आप उत्तरार्द्ध की ओर जाएँगे यानि शिक्षा के उपरान्त सेवा कार्य करेंगे तब आपको यज्ञोपवीत की महत्ता का आभास होगा। उन्होंने आह्वान किया कि आप अपने पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओं के अनुगामी बनें, उनके प्रतिनिधि बनें। आचार्य जी ने कहा कि आपको समाज में व्याप्त अज्ञानता व भ्रम को मिटाकर सनातन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करना है।
कार्यक्रम में प्रति-कुलपति डॉ. मयंक अग्रवाल ने कहा कि पूरे विश्व में ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है जहाँ शास्त्र स्मरण के लिए इतना प्रोत्साहित किया जाता है। हमारा लक्ष्य केवल विद्यार्थियों को केवल शिक्षा देना ही नहीं अपितु उनका समग्र व्यक्तित्व विकास कर उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित करना है।
सायंकालीन सत्र में छात्र-छात्राओं ने पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। साथ ही हाल ही में आयोजित तीन दिवसीय शास्त्र श्रवण प्रतियोगिता में चरक संहिता, चार वेद, भाष्य (योगदर्शन व न्यायदर्शन), अष्टांगहृदयम्, उपचार पद्धति, एकादशोपनिषद्, महाभाष्य (नवाह्निकम्), धातुवृत्ति, काशिका, षड्दर्शन, पंचदर्शन, अमरकोश, योगविज्ञानम्, प्रथमावृत्ति, श्रीमद्भगवद्गीता, हठप्रदीपिका, घेरण्ड संहिता, चाणाक्य नीति, विदुर नीति तथा अष्टावक्र गीता में विजेता प्रतिभागियों को मेडल, प्रशस्ति पत्र तथा पुरस्कार राशि प्रदान की गई। सम्पूर्ण शास्त्र स्मरण करने वाले 31 प्रतिभागियों का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता हेतु हुआ है जो 4 अगस्त को आयोजित होगी।
कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय की मानवीकी संकायाध्यक्षा साध्वी देवप्रिया, बैंगलोर से प्रो. शिवानी जी, स्वामी परमार्थदेव, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, प्रति कुलपति डॉ. मयंक अग्रवाल, मुख्य परामर्शदाता प्रो. के.एन.एस. यादव, सहित समस्त संन्यासीगण, अधिकारीगण, शिक्षकगण व छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

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