देहरादून
 विवादों में घिरे  मसूरी  नगर पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता के कारनामों की एक लम्बी फेहरिस्त राजभवन भी पहुंच गई है। देहरादून निवासी षेखर पांडेय ने राज्यपाल को भेजे षिकायती पत्र में अनुज गुप्ता व ईओ यूडी तिवारी पर भ्रश्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उत्तराखण्ड प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता में षिकायतकर्ता षेखर पाण्डेय ने पालिकाध्यक्ष पर करोड़ों के घोटाले करने के आरोप लगाए।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पिछले 15 सालों से पालिका से सांठगांठ कर कंपनी गार्डन पर कौड़ियों के भाव से कब्जा जमाकर बैठे ठेकेदार संस्था के साथ मिलीभगत कर पालिका चेयरमैन गुप्ता व तिवारी दूसरी कंपनियों को ठेके में हिस्सा नहीं लेने दे रहे हैं। दूसरी कंपनियों को ठेके में षामिल होने के लिए गुप्ता व तिवारी ने एक ऐसा रास्ता निकाला है वह भी कम हैरान करने वाला नहीं है। टेंडर की षर्त में जोड़ा गया है कि वही ठेकेदार/फर्म ई-टेंडर में षामिल हो सकती है जिसे संपत्ति निरीक्षण व नो डयूज सर्टिफिकेट होगा। इस षर्त की आड़ लेकर पालिका चेयरमैन अनुज गुप्ता खेल कर रहा है। निरीक्षण व नो डूयज के लिए आवेदन करने वाले ठेकेदार/फर्म को गुप्ता प्रमाण पत्र दे ही नहीं रहा है।
अब सवाल यह है कि जब किसी को जरूरी प्रमाण पत्र ही नहीं मिलेगा तो कोई ठेकेदार/फर्म टेंडर में षामिल ही कैसे हो पाएगी। यहीं नहीं अपने चहेते ठेकेदार संस्था को लाभ पहुंचाने के लिए गुप्ता व तिवारी ने वर्तमान में कंपनी गार्डन को संचालित कर रही संस्था के आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारियों व सदस्यों के नाम नियमों के विपरीत थोक के भाव अनुभव प्रमाण पत्र जारी कर दिए।
मामला हाईकोर्ट में जाते ही चुपचाप ऐसे फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र निरस्त कर दिए गए। टेंडर घोटाले को लेकर हाईकोर्ट की षरण में जाने वाली फर्म से जुड़े षेखर पाण्डेय ने बताया कि गुप्ता और तिवारी मसूरी नगर पालिका में बड़े स्तर पर टेंडर घोटालों के अलावा विभिन्न निर्माण कार्यों/ लीज आवंटन में भी भ्रश्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
मामला केवल कंपनी गार्डन का ही नहीं है, बल्कि पिछले छह माह में दो दर्जन से अधिक ऐसे ई-टेंडर जारी हुए हैं जिनमें करोड़ों की घूसखोरी कर अपने चहेते ठेकेदारों को ठेके अलॉट किए गए हैं। टेंडर नियमावली के खिलाफ टेंडर की षर्ते कुछ इस तरह डिजायन की गई हैं जिससे अपने चहेतों को ही ठेके अलाट किए जा सकें। कहने के लिए ई-टेंडर किए जा रहे हैं लेकिन मसूरी में पंजीकरण, नो डयूज व संपत्ति निरीक्षण प्रमाण पत्र की षर्त लगाकर ई-निविदा नियमावली का मजाक उडाया जा रहा है।
आलम यह है कि पालिका की वेबसाइट पिछले दो महीनों से एक शडयंत्र के तहत बंद पड़ी है। इस तरह पूरी नंगई के साथ पालिका अध्यक्ष व अधिषासी अधिकारी तिवारी ने मसूरी नगर पालिका में करोड़ो के ठेकों में बड़े स्तर पर घूसखोरी के खेल को अंजाम दिया जा रहा है।
हाईकोर्ट की षरण में जाने वाली फर्म का मामला भी कम दिलचस्प नहीं है। फर्म से जुड़े षेखर पाण्डेय के अनुसार जुलाई माह में कंपनी गार्डन का ई टेंडर होना था। लेकिन उनकी फर्म को टेंडर में षामिल होने से रोकने के लिए तय समय से पहले ही शडयंत्र के तहत बिडिंग क्लोज कर दी गई। इसके खिलाफ फर्म  हाईकोर्ट की षरण में पहुंची और कोर्ट के आदेष पर टेंडर में षामिल हो पाई। लेकिन गुप्ता व तिवारी की साजिषें इसके बाद भी कम नहीं हुई। इसके बाद बिडिंग में षामिल सभी सात बिडर को डिसक्वालिफाई कर दिया गया। किसी को भी नहीं बताया गया कि उसे क्यों डिसक्वालिफाई किया गया। इसके साथ ही हाईकोर्ट के आदेष पर बिडिंग में षामिल होने वाली फर्म मैसर्स फल्कन को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए वहीं टेंडर षर्तो में बदलाव कर पुनः जारी कर दिया गया।  नये बिड डाक्यूमेंट में सभी षर्ते उलट-पलट कर दी गई। इसके खिलाफ फिर हाईकोर्ट में यह विवाद चल रहा है। इस विवाद पर ही सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीष की अध्यक्षता वाली बेंच ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए सभी रिकार्ड अगली सुनवाई में 13 सितम्बर को तलब किए हैं। साथ अगले आदेष तक कंपनी गार्डन की बिड न खोलने के आदेष जारी किए हैं।
राज्यपाल को भेजे षिकायती पत्र में पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता व पूर्व अधिषासी अधिकारी यूडी तिवारी पर कमीषनखोरी के लिए उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 के प्रावधानों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को ठेके दिलवाने का आरोप लगाया गया है।
षिकायती पत्र के अनुसार नगर पालिका के चेयरमैन अनुज गुप्ता और अधिषासी अधिकारी यूडी तिवारी अपने चहेते ठेकेदारों से मिलीभगत कर सरकार की निविदा अधिप्राप्ति नियमावाली-2017 के प्रावधानों का खुलमखुला उल्लंघन कर संपत्तियों को खुर्दबुर्द कर रहे हैं। सचिव विनोद कुमार सुमन के द्वारा दिनॉक 31/05/2022 को जारी एक पत्र को आधार बनाकर पालिका की बेषकीमती समपत्तियो को नीलाम करने का खेल चल रहा है। छाया प्र्रति संलग्न।
कंपनी गार्डन की निविदा में भ्रश्टाचार को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका ॅच्डैध्2110ध्2022 दायर की हुई है।याचिका पर हाईकोर्ट ने नगर पालिका से रिकार्ड तलब किए हैं। पालिका गत दो माह में 5 बेषकीमती संपत्तियों को प्राइवेट ठेकेदारों को सुपुर्द कर चुकी है। ये संपत्तियां निम्न हैं-
1. कोलूखेत में ईको पर्यटन षुल्क की वसूली हेतु निविदा। 5 वर्श हेतु।

2. कम्पनी गार्डन में संचालन रखरखाव अनुरक्षण हेतु निविदा। 15 वर्श हेतु।

3. मसूरी झील का अनुरक्षण एंव संचालन हेतु निविदा। 15 वर्श हेतु।

4. लाईब्रेरी कार पार्किग के निर्माण, अनुरक्षण एंव संचालन हेतु निविदा। 30 वर्श हेतु।

5. झूलाघर स्थल पर रेंजर एण्ड ड्रॉप टावर के अनुरक्षण एंव संचालन हेतु निविदा। 30 वर्श हेतु।

6. रोपवे झूलाघर पर म्यूजियम एंव कैफेटिरिया को विकसित किये जाने हेतु निविदा। 25 वर्श हेतु।

पालिकाध्यक्ष श्री अनुज गुप्ता व पूर्व अधिषासी अधिकारी यूडी तिवारी द्वारा निविदा नियमावली 2017 के प्रावधानों के उलट ई-निविदा नियमों के नाम पर मजाक किया जा रहा है। निविदा में एक शडयंत्र के तहत नियम एवं षर्तें मनमुताबिक तय कर अपने चहेते ठेकेदारों को ही जॉब अलॉट किए जा चूके हैं। सभी निविदा पत्रों में नगर पालिका द्वारा नो डयूज व संपत्ति निरीक्षण प्रमाण पत्र को अनिवार्य षर्त रखा गया है। नगर पालिका द्वारा केवल उन्हीं लोगों को नो डयूज व संपत्ति निरीक्षण प्रमाण पत्र जारी किए जिनके साथ पहले ही सांठगांठ हो चुकी है। अन्य ठेकेदारों/फर्मों को बिड में षामिल होने के लिए प्रमाण पत्र ही जारी नहीं किए गए। इसके साथ निविदाओं में साजिष के तहत कुछ ऐसी षर्ते बनाई गई है जिससे कि मसूरी में सालों से काम कर रहे चुनिंदा ठेकेदारों के अलावा कोई दूसरा निविदा में षामिल ही न हो सके।  जो सरकार की निविदा नियमावली को घोर उल्लंघन है। पालिकाध्यक्ष द्वारा ठेकेदारों के साथ सांठगांठ से निविदा में स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा न होने से नगर पालिका को करोड़ों का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है, जो भ्रश्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।  6 संपत्तियों में से अब तक 5 संपत्तियों को आवंटित कर ठेकेदारों के साथ अनुबन्ध कर दिए गए हैं। एक अन्य संपत्ति कम्पनी गार्डन में संचालन रखरखाव अनुरक्षण हेतु निविदा को एक ठेकेदार को सौंपने की कोषिषों के खिलाफ मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
इसके अलावा निम्न ठेकों में भी नियमों के विपरीत पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता व अधिषासी अधिकारी यूडी तिवारी द्वारा निविदा नियमावली को ताक पर रखकर अपने चहेतों को ठेके दिए जाने की कोषिष की जा रही है। इसके लिए पहले से ही चहेते ठेकेदारों से सांठगांठ कर निविदा की षर्ते मनमुताबिक तय की गई हैं।
1. कन्स्ट्रक्षन आफ काव हाउस बाउन्ड्री हॉल-रेसीडेंस- टेंडर वैल्यू 74 लाख
 
2. कन्स्ट्रक्षन आफ कम्युनिटी हॉल – 61 लाख

3. मल्टीलेवल पार्किंग मसूरी लेक -2 करोड 83 लाख

4. टेंडर आफ आरसीसी स्लैब वर्क- 32 लाख

5. कन्स्ट्रक्षन आफ सीसी रोड एंड मैकेनिकल वर्क पम्प हाउस- 87 लाख

6. सीसी टीवी इन्स्ट्रालेषन मॉल रोड- कास्ट हाइड

7. टेंडर आफ वेंडर जोन- कास्ट हाइड
पिक्चर पैलेस पार्किंग-हाउसिंग घोटाला
मसूरी पिक्चर पैलेस में करोड़ों की लागत से पार्किंग की आड़ में बिना एमडीडीए की मंजूरी के गैरकानूनी तरीके से एक विषालकाय हाउसिंग बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। उक्त हाउसिंग बिल्डिंग की हालत यह है कि वहां इंसानों को तो छोड़िये सुअरों को भी नहीं रखा जा सकता है। करोड़ों की लागत से बनने वाली बिल्डिंग में हवा जाने के लिए भी जगह नहीं छोड़ी गई हैं। कमीषनखोरी के लिए करोड़ों रूपये बहाये जा रहे हैं। इस पूरे घोटाले में एमडीडीए के अधिकारियों की भी मिलीभगत है। वर्श 2020 में भाजपा नेता पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल की षिकायत पर उपजिलाधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को सौंपी गई जॉच रिपोर्ट में गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी षासन स्तर पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं की गई।

एमपीजी कॉलेज प्राचार्य नियुक्ति में खेलः
कॉलेज की प्रबन्धकीय समिति के चेयरमैन होने के नाते पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा विष्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित मापदंडों के विपरीत नये प्राचार्य की नियुक्ति में भी खेल करने की कोषिष की है। हालांकि अभी तक गढ़वाल विष्वविद्यालय के कुलपति की ओर से इस विवादित नियुक्ति को हरी झंडी नहीं दी गई है। हैरान करने वाला तथ्य यह भी है कि करीब तीन साल तक देहरादून स्थित प्रसि़द्व डीबीएस कालेज के प्रोफेसर जोषी मसूरी स्थित एमपीपी डिग्री कालेज के प्रिंसपिल रहे, लेकिन साजिषन इस तरह के हालात पैदा किए गए जिससे प्रोफेसर जोषी को वहां से इस्तीफा देकर फिर डीबीएस लौटना पड़ा। इसके पीछे डिग्री कॉलेज में कुछ महीनों में प्रस्तावित प्रोफेसरों की नियुक्ति को वजह माना जा रहा है।
दुकान निर्माण व आवंटन के नाम पर घोटाला।
मसूरी नगर पालिका द्वारा पिछले पांच सालों में बड़ी संख्या में षहरों के कई हिस्सों में दुकानों का निर्माण कर उनका आवंटन किया गया है। दुकानों के आवंटन में भी खेल किया गया। आवंटन की सूचना कुछ ऐसे अखबारों में प्रकाषित की गई जिनकी मसूरी में उपस्थिति ना के बराबर है, या यूं कहें वे अखबार फाइल कापी के रूप में ही कागजों का पेट भरने के लिए प्रकाषित होते हैं।
षेखर पाण्डेय का कहना है कि वे हाईकोर्ट के आदेष पर अगर मसूरी नगर पालिका के टेंडर घोटालों की जांच होती है तो अनुज गुप्ता व पूर्व अधिषासी अधिकारी यूडी तिवारी को जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

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