हरिद्वार, 4 अगस्त। संपूर्ण भारत वर्ष में महान ग्रंथ श्री रामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास महाराज के स्मरण में संत समाज ने धूमधाम से तुलसी जयंती मनाई। इस अवसर पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों ने तुलसी चैक पर पूजा अर्चना कर श्री रामानंद आश्रम तक भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया। श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए बाबा हठयोगी दिगंबर ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास श्रीराम के परम भक्त थे और श्रीराम की मर्यादा, वीरता एवं सामान्य जन के प्रति उनके प्रेम से अत्यंत प्रभावित थे। भगवान राम द्वारा साधारण मानव के रूप में किए गए सत्कर्म की कथा को सामान्य लोगों तक पहुंचाने के लिए ही तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस की रचना की। जो वर्तमान तक समाज का मार्गदर्शन कर समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने में सहायक है। हम सभी को गोस्वामी तुलसीदास के जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए। श्रीमहंत विष्णु दास एवं महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास महानतम और ज्ञानी कवियों में से एक थे। जिनकी रचनाएं आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं। गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में फैले भेदभाव और छूत अछूत जैसी बुराइयों के अंत के लिए समाज को प्रेरित किया। ऐसे महान महापुरुषों को संत समाज सदैव नमन करता है। चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास एक महान कवि होने के साथ-साथ संत, सुधारक और दार्शनिक थे और जगतगुरु रामानंद की गुरु परंपरा के रामानंदी संप्रदाय के थे। जिन्होंने प्रभु श्रीराम की भक्ति का वर्णन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। आज भी उनका जीवन सभी के लिए प्रसांगिक है। रामानंद आश्रम के महंत प्रेमदास महाराज एवं महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि कलयुग के प्रारंभ होने के पश्चात सनातन हिंदू धर्म यदि किन्ही महापुरुषों का सबसे अधिक ऋणी है तो वह हैं आदि गुरु शंकराचार्य और गोस्वामी तुलसीदास। बौद्ध मत के कारण लुप्त होती वैदिक परंपराओं को पुर्नस्थापित करके दिगिदिन्गत में सनातन हिंदू धर्म की पताका को फहराया और जिस समय गुरुकुल नष्ट किए जा रहे थे। शास्त्र और शास्त्रज्ञ दोनों विनाश को प्राप्त हो रहे थे। ऐसे भयानक काल में गोस्वामी तुलसीदास प्रचंड सूर्य की भांति उदय हुए। सनातन धर्म के संरक्षण संवर्धन और उत्थान में उनका योगदान सदैव अतुल्य रहेगा। इस अवसर पर महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत नारायण दास पटवारी, महंत प्रह्लाद दास, महंत गोविंद दास, महंत अरुण दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास, महंत गुरमीत सिंह, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी गंगादास उदासीन, महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत शिवानंद, महंत गंगादास, महंत निर्मल दास, महंत दामोदर दास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।