हरिद्वार– हरेराम आश्रम में आयोजित श्रीराम कथा के छठे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए श्रीराम कथा मर्मज्ञ संत विजय कौशल महाराज ने कहा है कि श्रीराम कथा जीवन मुक्त विषय साधक और सिद्ध सभी को इच्छित फल प्रदान करती है और जन्म मरण से मुक्ति देने वाली काशी के समान है। जन्म जन्मांतर के पुण्यों का उदय होने पर ही राम कथा सुनाने और सुनने का संयोग बनता है। इसलिए सभी को इस पवित्र ज्ञान की धारा को अपने भीतर ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामकथा कामधेनु है और इसे सुनने के अधिकारी मनुष्य हंै। जिस प्रकार श्री रामचंद्र भगवान अनंत है। उसी प्रकार उनकी कथा कीर्ति और गुण भी अनंत ही हैं। जो आज भी करोड़ों लोगों का उद्धार कर रही है। इस धरती पर यदि मोक्ष प्राप्ति का कोई साधन है तो वह भगवान की कथा है। जिसके श्रवण कर व्यक्ति को श्रीराम चरित्र जीवन में धारण करना चाहिए। अभी उसका जीवन भवसागर से पार हो सकता है। हरेराम आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि जो भक्त निरंतर भगवान के गुण सुनते रहते हैं। उनसे प्रभु स्वयं प्रसन्न होते हैं। जो लोग इस संसार रूपी भवसागर से पार पाना चाहते हैं। उनके लिए सिर्फ राम नाम की नौका ही काफी है। बस एक बार आप भगवान के नाम पर विश्वास करके बैठ जाइए। भगवान श्रीराम आपका बेड़ा स्वयं ही पार लगाएंगे और जो लोग संसार के विषयों को और सुखों को ढूंढने में लगे हैं। भगवान उन लोगों को भी आनंद प्रदान करते हैं। स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि जब चंद्रमा की किरणें धरती पर पड़ती हैं। तो सब जगह समान रूप से जाती है। वह अमीर या गरीब की कुटिया को नहीं जानती। इसी प्रकार रामकथा भी सभी के लिए सर्वदा हितकारी है और सब को शीतलता प्रदान करती है। भगवान श्रीराम कण कण में विराजमान हैं। प्रभु श्रीराम की कृपा जिस पर हो जाए उसके जन्म जन्मांतर के पापों का शमन हो जाता है और जीवन सदैव उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। भगवान की कथा अमृत से भी बढ़कर है इसलिए कथा का श्रवण जरूर करें। इस अवसर पर मुखिया महंत दुर्गादास महाराज, स्वामी कृष्ण मुनि, डा.जितेंद्र सिंह, विमल कुमार, प्रो.प्रेमचंद्र शास्त्री, नीलाम्बर खर्कवाल, रमेश उपाध्याय, रामचंद्र पाण्डेय, हरीश कुमार, डा.अश्वनी चैहान, मयंक गुप्ता, कोठारी स्वामी परमेश्वर मुनि, स्वामी रामसागर, साध्वी प्रभा मुनि, स्वामी संतोषानंद, भाजपा नेत्री अनिता शर्मा, भाजपा नेता ओमकार जैन, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत दामोदर दास, महंत गोविंद दास, महंत प्रेमदास, महंत दामोदर शरण दास, महंत श्रवण मुनि, महंत निर्मल दास, महंत जयेंद्र मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, महंत केशव मुनि आदि मौजूद रहे।