हरिद्वार– शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने कहा है कि आज संपूर्ण भारत को एक साजिश के तहत इस्लामीकरण का केंद्र बनाया जा रहा है और राष्ट्रीय एकता अखंडता में विघ्न डालने का प्रयास किया जा रहा है। जिसे संत समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। शुक्रवार को वेद निकेतन धाम में आयोजित तीन दिवसीय धर्म संसद के पहले दिन महामण्डलेश्वर आनन्द स्वरूप महाराज ने कहा कि संत समाज हिन्दू हितों की रक्षा के लिए सदैव अग्रणी भूमिका निभाता आया है और हर विपत्ती काल में देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। धर्म संसद आरंभ करने से पहले मां बगलामुखी महायज्ञ किया गया और उनसे सनातन की विजय और धर्म संसद की सफलता की कामना की गई। सुबह शाम होने वाले इस यज्ञ की पूर्णाहुति धर्म संसद के समापन के बाद की जाएगी।
महामण्डलेश्वर स्वामी आनन्द स्वरूप महाराज ने कहा कि भारत देश अनादि काल से संपूर्ण विश्व को एकता और भाईचारे का संदेश देता चला आ रहा है। मगर कुछ असामाजिक तत्व और विदेशी ताकतें भारतीय सनातन धर्म विरोधी कार्य कर देश को तोड़ने का कार्य कर रहे हैं। जिसके लिए समस्त हिंदू समाज को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि भारत पर अनेक आक्रमणकारियों ने आक्रमण कर देश की संप्रभुता को खंडित करना चाहा। लेकिन प्रारंभ से लेकर अब तक कोई भी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाया। जिसका कारण भारतीय समाज का एकजुट होना है। एकजुट होकर ही किसी भी विपत्ति का सामना किया जा सकता है। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि आज घटते हुए हिन्दू जनसंख्या अनुपात ने तय कर दिया है कि आज जिस तरह से भारत तथा विश्व में जिस तरह हिंदुओं की जनसंख्या का अनुपात घट रहा है। ये पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। ऐसे में सनातनियों की रक्षा के लिए धर्म गुरुओं को आगे आना चाहिए। यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि हालात ये हैं कि 2029 में भारत का प्रधानमंत्री किसी विशेष समुदाय का बनेगा। इस समस्या पर विचार करके इसका समाधान खोजने के लिए ही यह धर्म संसद आयोजित की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म का अर्थ ही मानवता की रक्षा करना है। सनातन के धर्म गुरुओं का दायित्व है कि वो मानवता की रक्षा के लिए वैचारिक नेतृत्व करें। स्वामी अमृतानंद ने कहा कि आज हिन्दू समाज अपने धर्म को न जानने के कारण इस दुर्गति को प्राप्त हुआ है। अगर हिन्दू समाज को अपने अस्तित्व को बचाना है तो अपने धर्म को समझ कर संघर्ष करना पड़ेगा। अगर हिन्दू समाज अब भी संघर्ष नहीं करेगा तो कोई भी देवता या अवतार अब हिन्दू को बचा नहीं सकता। अब हिन्दओं को अपने बच्चों के भविष्य को नेताओं के भरोसे पर न छोड़कर स्वयं प्रयास करना पड़ेगा।
धर्म संसद का शुभारंभ स्वामी नारायण संप्रदाय के वरिष्ठ संत हरिवल्लभदास, महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश, महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी, महामंडलेश्वर प्रेमानंद, स्वामी आनंद स्वरूप, महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती, स्वामी महेश स्वरूप ब्रह्मचारी ने दीप प्रज्वलित करके किया। धर्म संसद में श्रीअखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष अधीर कौशिक ने सभी संतों का आदर सत्कार किया।