हरिद्वार समाचार- श्री जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा है कि सनातन धर्म में गुरू को सर्वोच्च स्थान देते हुए परमात्मा का ही स्वरूप बताया गया है। गुरू का अनादर करने वाले शिष्य को ईश्वर कभी माफ नहीं करते हैं। स्वामी ब्रह्मस्वरूप महाराज ने कहा कि आदि अनादि काल से चली आ रही गुरू शिष्य परम्परा में एक्लव्य जैसे महान शिष्य हुए हैं। जिन्होंने गुरू के आदेश पर बिना एक क्षण गंवाए अपना अंगूठा काटकर उनके चरणों में रख दिया था। दूसरी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के शिष्य स्वामी आनन्द गिरी महाराज कुछ लोगों के बहकावे में आकर गुरू शिष्य परंपरा का अपमान कर रहे हैं। स्वामी आनन्द गिरी महाराज को उनके व श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज के बीच मतभेद उत्पन्न करने में जुटे लोगों से सावधान रहना चाहिए। गुरू पर अनर्गल आरोप लगाने के बजाए उन्हें श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज से मिलकर अपना पक्ष रखना चाहिए और सभी मतभेद दूर करने चाहिए। शिष्य का मार्गदर्शन कर उन्नति के शिखर पर ले जाने वाले गुरू के हृदय में शिष्य के प्रति हमेशा अनुराग होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज मधुरभाषी, मिलनसार व सहयोगी संत हैं। गुरू श्रीमहंत नरेंद्र गिरी की कृपा से ही स्वामी आनन्द गिरी महाराज ऊंचाईयों पर पहुंचे हैं। गुरू की कृपा से ही देश विदेश में आनन्द गिरी की पहचान बनी। लेकिन जब मानसिक संतुलन खो जाता है तो ज्ञानी शिष्य भी विपरीत आचरण करने लगते हैं। गुरू शिष्य के बीच मतभेद उत्पन्न करने में जुटे कुछ लोगों की सलाह पर स्वामी आनन्द गिरी अपने गुरू श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। स्वामी आनन्द गिरी के गुरू श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज का व्यक्तित्व बेहद विराट है। उनका जीवन दर्शन देश दुनिया जानती है। संत समाज परिवार से किसी भी प्रकार का कोई मतलब नहीं रखता है। लेकिन स्वामी आनन्द गिरी महाराज अपनी गलतियों को छिपाने के उद्देश्य से गुरू श्रीमहंत नरेद्र गिरी महाराज की छवि को धूमिल करने का नाकाम प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी आनन्द गिरी को वक्त रहते भूल सुधार कर लेनी चाहिए। तभी उनका जीवन सफल हो सकता है। स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि एक तरफ स्वामी आनन्द गिरी मीडिया को बता रहे हैं कि उनके गुरू श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने किसी के दबाव में आकर उन्होंने हटाने की कार्रवाई की है। जब वे इतना सब कुछ जानते हैं तो फिर अपने गुरू के खिलाफ अनर्गल प्रचार क्यों रहे हैं।