हरिद्वार समाचार– बैरागी कैंप में हनुमान मंदिर व निर्माण तोड़े जाने के विरोध में बैरागी संत धरने पर बैठ गए हैं। संतों का आरोप है कि बैेरागी कैंप में बड़ी संख्या में अतिक्रमण कर अवैध निर्माण कर लिए गए हैं। लेकिन केवल बैरागी संतों को निशाना बनाया जा रहा है। संतों ने मांग की है कि बैेरागी कैंप से सभी अवैध निर्माण हटाकर 1986 के कुंभ की स्थिति बहाल की जाए। साथ ही बैरागी कैंप की भूमि तीनों वैष्णव अखाड़ों को लीज पर दी जाए। संतों ने हनुमान मंदिर तोड़ने व मूर्ति हटाने वाले अधिकारियों के खिलाफ मुकद्मा दर्ज करने की मांग भी की। तीनों बैरागी अनी अखाड़ों की और से इस संबंध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी प्रेषित किया।
धरने पर बैठे श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि प्राचीन काल से ही बैरागी कैंप की भूमि तीनों बैरागी अनी अखाड़ों के लिए आरक्षित रही है। प्रत्येक कुंभ मेले में वैष्णव अखाड़ों के शिविर बैरागी कैंप में ही लगते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, शासन, प्रशासन की सहमति व कुंभ मेले में निर्माण कार्यो के लिए सरकार से मिले धन से ही तीनों अखाड़ों में संत निवास का निर्माण कराया जा रहा था। जिसे अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया गया। संत निवास के साथ मंदिरों को भी क्षतिग्रस्त किया गया और मंदिरों में स्थापित वैष्णव संतों के आराध्य महावीर हनुमान की मूर्ति को भी हटाकर धर्म संस्कृति व परंपराओं पर कुठाराघात किया गया। अधिकारियों ने सतों के साथ अभद्रता भी की। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि निर्माण तुड़वाना ही था, तो बनाने की सहमति क्यों दी गयी। केंद्र व उत्तराखण्ड दोनो जगह हिंदूवादी सरकार होने के बावजूद हिंदू धर्म पर कुठाराघात किया जा रहा है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि तोड़े गए मंदिरों का पुर्ननिर्माण कराकर विधि विधान से मूर्ति स्थापना होने तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने देश के तमाम संतों से हरिद्वार आकर आंदोलन में शामिल होने का आह्वान भी किया।
श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर मंदिरो को तोड़ा जाना बेहद दुखद है। जिसके विरोध में पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा। जब तक सरकार महावीर हनुमान की मूर्ति तोड़ने वाले धर्म विरोधी अधिकारी एसडीएम गोपाल चैहान को बर्खास्त नहीं करती और तोड़े गए मंदिरों का पुनःनिर्माण नहीं कराती है। बैरागी संतों को आंदोलन व धरना चलता रहेगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सहमति से ही तीनों अखाड़ों द्वारा संत निवास का निर्माण कराया जा रहा था। जिसे अतिक्रमण बताकर तोड़ दिया गया। जबकि पूरे बैरागी कैंप में जमीनों पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किए गए हैं। सरकार सभी अवैध निर्माण हटाए और बैरागी कैंप में 1986 के कुंभ की स्थिति बहाल करे।
श्रीपंच दिगम्बर अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्णदास महाराज ने कहा कि बैरागी संतों के साथ अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके खिलाफ देश भर में आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिंदूवादी सरकार के रहते सनातन संस्कृति पर कुठाराघात किया जा रहा है। सरकार मंदिर तोड़ने व मूर्ति हटाने वाले अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे। यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो देश भर से बैरागी संत हरिद्वार पहुंचकर आंदोलन व धरना प्रदर्शन करेंगे।
महंत वैष्णव दास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप में जिस प्रकार मंदिरों को तोड़ा गया ऐसा मुगलकाल व अंग्रेजों के शासन में भी नहीं हुआ। संतों को आगे कर राजनीतिक लाभ उठाकर धर्म के नाम पर सत्ता में आयी सरकार मंदिर तोड़कर हिंदू धर्म पर ही कुठाराघात कर रही है। अधिकारियों ने मंदिर तोड़ने के साथ वयोवृद्ध संतों के साथ दुव्र्यवहार भी किया। जिसे लेकर संतों में देश भर में संतों में रोष है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में गंगा से दो सौ मीटर के दायरे में किए गए सभी निर्माण हटाए जाएं। सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति को कतई सहन नहीं किया जाएगा।
इस दौरान जगद्गुरू रामानन्दाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज, महंत नरेंद्रदास, महंत महेश दास, महंत गोपाल गिरी, महंत विष्णुदास, महंत बिहारी शरण दास, महंत प्रहलाद दास, महंत दुर्गादास, महंत रघुवीर दास, महंत अगस्त दास, महंत प्रेमदास, महंत भगवान दास खाकी, महंत मनीष दास, महंत रामदास, श्रीमहंत गोपाल गिरी, महंत गजेंद्र दास, महंत पदमदास नागा, महंत सूरज दास, महंत राजेंद्रदास, महंत ब्रहमाण्ड गुरू अनन्त महाप्रभु, स्वामी प्रकाशानंद, महंत अंकित दास, सुरेश अवस्थी, करन शर्मा, दिवाकर शर्मा, विशाल शर्मा, पंकज दास, लक्ष्य शर्मा आदि मौजूद रहे।