देहरादून, 20 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्धा महाराष्ट्र में ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की पहली वर्षगांठ कार्यक्रम का निरंजपुर स्थित राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान देहरादून में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में प्रदेश ग्रामीण विकास मंत्री गणेश जोशी वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े। इस अवसर पर ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने योजना के लाभार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित किए तथा स्टोल का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने परिसर पर रुद्राक्ष के पौधे का रोपण भी किया।
इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने अपने संबोधन में पीएम विश्वकर्मा योजना के प्रथम वर्ष गांठ पर सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर वर्ग की चिंता करते है। मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी एक शिल्पी है जो देश के नव निर्माण में निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि हमारे कारीगर भाईयों के बिना देश का नव निर्माण संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे कारीगर भाई योजना के ब्रांड एंबेसडर भी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना एक केंद्रीय योजना है। जो दिनांक 17 सितंबर, 2023 को कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता देने के लिए शुरू की गई थी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत, कारीगरों को जमानत मुक्त ऋण, कौशल प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण, डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन, और बाज़ार संपर्क सहायता दी जाती है। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत, अब तक 5,03,161 से अधिक उम्मीदवारों को बुनियादी प्रशिक्षण के बाद प्रमाणित किया गया है।
मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि इस योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह योजना अगले पाँच साल यानी 2023-2024 से 2027-2028 तक लागू होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों और हस्तशिल्प श्रमिकों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र मिलेगा। इन लोगों को पहले चरण में एक लाख तक का ब्याज मुक्त लोन मिलेगा। इसके बाद दूसरे चरण में पाँच फीसदी की रियायती ब्याज दर के साथ दो लाख रुपए मिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ बढ़ई, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार / पत्थर गढ़ने वाले, चर्मकार, राजमिस्त्री, बुनकर / चटाई/झाडू बनाने वाले, रस्सी कातने वाले / बेलदार, पारंपरिक खिलौना निर्माता, नाई, हार बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला, नाव बनाने वाले, कवच बनाने वाला, लोहार, ताला बनाने वाले, कुल्हाड़ियों और अन्य उपकरण वाले कारीगरों को दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत कारीगरों को प्रशिक्षित भी किया जाता है। यह प्रशिक्षण दो रूप में दिया जाता है। बुनियादी प्रशिक्षण और उन्नत प्रशिक्षण। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को प्रतिदिन 500 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। साथ ही औद्योगिक उपकरण खरीदने के लिए 15 हजार रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत पहले वर्ष में पाँच लाख परिवारों को लाभ मिलेगा और पाँच वर्षों में कुल 30 लाख परिवारों को इस योजना से लाभ मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि इस योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना है। इसके तहत सरकार आने वाले वर्षों में पारंपरिक कौशल वाले लोगों की मदद करेगी।
इस अवसर पर क्षेत्रीय निदेशक कौशल विकास रवि चिल्कोटी, एमएसएमई निदेशक आर के चौधरी, उप निदेशक जीपी चौरसिया, एसडीएम देहरादून हरि गिरी गोस्वामी, मुख्य प्रबंधक एसबीआई दीपिका शुक्ला, पीएनबी बैंक मैनेजर संजय भाटिया सहित कई लोग उपस्थित रहे।