हरिद्वार, 21 जून। योगऋषि स्वामी रामदेव जी महाराज तथा आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के दिशानिर्देशन में पतंजलि वैलनेस, पतंजलि योगपीठ-2 स्थित योगभवन सभागार में 10वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस ‘स्वयं और समाज के साथ यूनिवर्स के लिए योग’ विषय के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि योग व योगमूलक इंटीग्रेटिड ट्रीटमेंट सिस्टम से साध्य-असाध्य रोगों को रिवर्स किया जा सकता है। योगा फॉर सेल्फ व सोसाइटी ही नहीं, योगा फॉर यूनिवर्स अर्थात युग के लिए योग है। पूरे विश्व का मॉडर्न मेडिकल सिस्टम व संसार की सरकारें जो नहीं कर पायी, वो सनातन धर्म मूलक योग से एक संन्यासी ने पतंजलि के माध्यम से करके दिखा दिया है। योग व योगमूलक इंटीग्रेटिड ट्रीटमेंट सिस्टम से असाध्य माने जाने वाले लिवर, किडनी, लंग्स, हार्ट आदि के रोगों को भी रिवर्स किया जा सकता है अर्थात रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि योग, प्राणायाम, सहज योग, एडवांस योग, योगा इन डेली लाइफ के साथ जीवन को सार्थक बनाएँ। योग हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है, हमारे जीवन की सभी समास्याओं का समाधान है, योग आत्मानुशासन, आत्मदर्शन, आत्म उपचार तथा आत्म साक्षात्कार है। उद्योग, जीवन और जगत की सभी समस्याओं का समाधान योग में निहित है।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनियां में वैचारिक, राजनैतिक, आर्थिक संघर्ष व चुनौतियों का समाधान भी योगयुक्त जीवन ही है। योग से मानसिक व वैचारिक परिवर्तन होकर व्यक्ति समस्या नहीं, समाधान का हिस्सा बन जाता है। यहाँ आज रीयल वर्ल्ड एविडेंस के रूप में सैकड़ों लोग उपस्थित हैं जिन्होंने कैंसर, लीवर सिरोसिस, हेपेटाइटिस, इंफर्टिलिटी, हार्ट ब्लॉकेज आदि असाध्य रोगों में लाभ मिला है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में कहें तो ये वे भाई-बहन हैं जिन्होंने विश्व कीर्तिमान रचा है, असंभव को संभव किया है। योग का प्रयोग करके आज जो परिणाम सामने आए हैं, वो प्रमाण बन गए हैं। उन्होंने कहा कि योगाभ्यास मात्र शारीरिक व्यायाम या आसन, प्राणायाम की विधियाँ मात्र नहीं है अपितु जीवन दर्शन है जिससे तन, मन, जीवन व जगत की सभी समस्याओं का समाधान संभव है। बदलते प्रदूषित पर्यावरण, दोषपूर्ण जीवनशैली, खानपान व तनाव से उपजे सभी लाईफ स्टाईल डिसऑर्डर जैसे बी.पी., शुगर, मोटापा, अवसाद व क्षीण होती जीवनीय शक्ति का समग्र व स्थाई समाधान योग, आयुर्वेद व निसर्ग में ही सन्निहित है। योग से लाखों-करोड़ों लोग व्यसन मुक्त हुए हैं और उन्होंने योग से ही कम्प्लीट एसप्रेशन, कम्प्लीट बैलेंस, कम्प्लीट रीजुविनेशन, कम्प्लीट डिवाइन ट्रांसफोर्मेशन और डिवाइन लाइफ (दिव्य जीवन) को पाया है।
उन्होंने कहा कि योग हमारे योगधर्म, ऋषिधर्म, वेदधर्म की गौरवशाली परम्परा है। योग पूरी मानवता व विश्व के लिए ऋषियों का श्रेष्ठतम उपहार है। योग से करोड़ों लोगों ने स्वयं को रोगमुक्त किया है व अनियमित जीवनशैली को त्यागकर योगमय जीवन पद्धति को अपनाया है। पूरी दुनियां के करोड़ों लोगों तक योग पहुँचा है तथा उनकी दिनचर्या का हिस्सा बना है। विभिन्न शोध से यह प्रमाणित हुआ है कि योग स्वस्थ तन, स्वस्थ मन, स्वस्थ चिन्तन एवं स्वस्थ जीवन का आधार है। स्वामी जी महाराज ने सभी योग साधकों का आह्वान करते हुए कहा कि मात्र एक दिन के लिए ही नहीं अपितु 365 दिन के लिए नियमित योग का व्रत/ संकल्प लें। हम प्रतिदिन 10 से 20 मिनट तक प्रारंभ करके 1 घंटे तक योग करेंगे तो जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान होगा।
इस अवसर पर स्वामी जी महाराज ने कहा कि हमने अपनी 35 वर्षों की योग यात्रा में यौगिक जॉगिंग के 21 अभ्यास, सूर्य नमस्कार के 12 अभ्यास, परंपरागत व्यायाम के 20-25 अभ्यास, शताधिक आसन, दस से अधिक प्राणायाम और योग की मुद्राओं को जन-जन तक पहुँचाया है। करोड़ों लोगों के जीवन में योग को समाहित किया है। देश से लेकर विश्व के 200 से अधिक देशों के 200 करोड़ से अधिक भाई-बहन योग करने लगे हैं और योग को जीने लगे हैं।
कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि योग पूरे विश्व के लिए भारत का सर्वश्रेष्ठ वरदान है। योग को जन-जन तक पहुँचाकर लोगों के जीवन में उतारने वाले पूज्य स्वामी जी के सान्निध्य में हम योग महोत्सव मना रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि योग जीने की विधा है, जीवन परिवर्तन की विधा है। उस परिवर्तन को आज योग दिवस के पावन अवसर पर हम सबने रियल वर्ल्ड एविडेंस के रूप में साक्षात देखा है। जब ये रोगी निरोगी हो सकते हैं तो आपके मन में भी यह भाव जाग जाए कि जब योग से दुनिया के बाकी लोग ठीक हो सकते हैं तो आप भी जरूर ठीक हो सकते हैं। हजारों-हजारों भाई-बहनों ने क्लिनिकल ट्रायल में यह साबित किया है कि योग से असाध्य रोगों पर विजय पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि दुनिया में रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इसका एकमात्र समाधान योग में निहित है। सनातन वैदिक परम्परा को मानने वाले हमारे वैज्ञानिक ऋषियों ने हमें योग की विधा से जोड़ा। योग कोई मत, पंथ, सम्प्रदाय नहीं है। योग जाति, मजहब, राजनैतिक बंधनों से मुक्त एक सार्वभौमिक वैज्ञानिक एवं सर्वहितकारी विज्ञान है।
कार्यक्रम में देश के अनेकों असाध्य रोगों जैसे- ब्लड कैंसर, एंक्लोंजिंग स्पॉन्डिलाइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस, इन्फर्टिलिटी, एस.एल.ई., टाइप-1 व 2 डायबिटीज, पैल्विक कैंसर, किडनी रोग, एम.एस., प्रोस्टेट कैंसर, हार्ट ब्लाकेज, मोटापा, ओवेरियन सिस्ट, नेत्र रोगसे ग्रसित रोगियों यथा- रागिनी, नरेश कौशिक, जवेन्द्र, रोहन गांधी, दिनेश, मांगे राम, सईद खान, हंसराम यादव, कृष्णकान्त, अनुपम, सर्वेश, मोनिका, दक्ष शर्मा, धर्मचन्द, ख्याति मर्चेन्ट, जितेन्द्र, अनुष्का, डॉ. निर्मल जैन, गीता, तरूण यादव, राधेश्याम, कौशिक, वैभव आदि ने योग व योगमूलक इंटीग्रेटिड सिस्टम के माध्यम से किस प्रकार अपनी डिजीज को डिरूट किया, उन अनुभवों को सबके समक्ष साझा किया।
आचार्य जी ने कहा कि हमें कृतज्ञ होना चाहिए श्रद्धेय स्वामी जी महाराज के प्रति जिन्होंने वर्तमान युग में ऋषियों की उस ज्ञान परम्परा, योग परम्परा को जन-जन तक पहुँचाकर जन-चेतना को जागृत किया। लोग चमत्कार दिखाते हैं किन्तु यदि अंतर की चेतना को जागृत करना हो तो वह भी योग से ही सम्भव है।
इस अवसर पर स्वामी जी महाराज ने यौगिक जॉगिंग, सूर्य नमस्कार के साथ अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, भ्रामरी, कपालभाति, भुजंगासन, वृक्षासन, ताड़ासन, मंडुकासन, शलभासन, गौमुखासन, वज्रासन, ध्यान आदि का अभ्यास कराया।
कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति हरिद्वार व रुड़की के तत्वाधान में आसपास के लगभग 200 गावों के लोगों ने योगसत्र में भाग लिया।
इस अवसर पर पतंजलि वैलनेस के थैरेपिस्टों ने पंचकर्म, षट्कर्म तथा प्राकृतिक चिकित्सा की विविध थेरेपियों तथा पतंजलि गुरुकुलम व आचार्यकुलम के छात्र-छात्राओं ने योग की विभिन्न मुद्राओं, मलखम्ब योग, रस्सी योग, ताइक्वांडो आदि का प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम में पतंजलि महिला योग समिति की मुख्य केन्द्रीय प्रभारी साध्वी देवप्रिया, मुख्य केन्द्रीय प्रभारी भाई राकेश ‘भारत’ व स्वामी परमार्थदेव, क्रय समिति अध्यक्षा बहन अंशुल, संप्रेषण विभाग प्रमुख बहन पारूल, पीआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, मुख्य महाप्रबंधक (ट्रस्ट) ब्रिगेडियर टी.सी. मल्होत्रा, मानव संसाधन प्रमुख श्री तरूण राजपूत, पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल यादव, पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के उपाधीक्षक डॉ. अरूण पाण्डेय, स्वामी बजरंगदेव, स्वामी आर्षदेव, स्वामी ईशदेव सहित पंतजलि योगपीठ से सम्बद्ध समस्त इकाईयों के इकाई प्रमुख, अधिकारी, कर्मचारी व पतंजलि संन्यासाश्रम के सभी संन्यासी भाई व संन्यासिनी बहनें उपस्थित रहे।

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