हरिद्वार, 22 अप्रैल। सप्त सरोवर मार्ग स्थित अखण्ड दयाधाम में अखण्ड दयाधाम वृन्दावन एवं गोयल पारमार्थिक ट्रस्ट इंदौर की और से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि जब ईश्वर इस धराधाम पर अवतरित होते हैं तो जीव की प्रतिकूल परिस्थितियां भी अनुकूल बन जाती है। कंस के कारागार में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो देवकी और वासुदेव के बंधन और जेल के दरवाजे स्वतः ही खुल गए। महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि भक्त और भगवान की कथा श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का अथाह भण्डार है। जिसे जितना ग्रहण करो जिज्ञासा उतनी ही बढ़ती जाती है। कथा के प्रत्येक सत्संग से अतिरिक्त ज्ञान की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि गंगा तट पर संतों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। कथा के प्रभाव से जीवन पूरी तरह बदल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने और आयोजन का अवसर सौभाग्य से प्राप्त होता है। इस अवसर को कभी गंवाना नहीं चाहिए तथा दूसरों को भी कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण का लाभ तभी है। जब कथा के मिले ज्ञान को आचरण में धारण किया जाए। स्वामी ऋषि रामकृष्ण, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी बिपनानंद, स्वामी नागेंद्र महाराज आदि संतों ने भी श्रद्धालु भक्तों को आशीर्वचन प्रदान किए। ट्रस्टी प्रेम गोयल, विजय गोयल, श्याम अग्रवाल, पुरूषोत्तम अग्रवाल एवं पुष्पा देवी, गायत्री वालिया तथा अमित वालिया ने संतों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया और व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु भक्त शामिल रहे।