हरिद्वार समाचार– जगद्गुरू रामानंदाचार्य महाराज की जयंती पर संत समाज ने भूपतवाला स्थित गोकुलधाम से श्रवणनाथ नगर तक भव्य शोभायात्रा निकाली। जिसमें मेला अधिकारी दीपक रावत, कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल, अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह, उपमेला अधिकारी किशन सिंह नेगी भी सम्मिलित हुए। जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि स्वामी रामानंदाचार्य वैष्णो भक्ति धारा के महान संत थे। जिन्होंने हिंदू धर्म को संगठित और व्यवस्थित करने के अथक प्रयास किए। उन्होंने वैष्णव संप्रदाय को पुनर्गठित किया तथा वैष्णव साधु-संतों को उनका आत्मसम्मान दिलाया। भारतीय राष्ट्र को एक नई दिशा देने वाले संत रामानंद प्रेम और भक्ति के संत थे। भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति ने देश को एक नई दिशा प्रदान की। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने कहा कि सात्विक और संत जीवन वाले स्वामी रामानंदाचार्य ने जहां एक और सगुण धारा को प्रबल किया तो दूसरी ओर निर्गुण धारा को भी अवसर दिया। उन्होंने हिंदू समाज को समता व सद्भाव की दृष्टि प्रदान की। भारत में प्रेम और भक्ति के महत्व को उन्होंने मजबूत किया। जिस मार्ग का अनुसरण कर वैष्णव संत धर्म व संस्कृति की रक्षा कर रहे हैं। उछाली आश्रम के अध्यक्ष श्रीमहंत विष्णु दास महाराज ने कहा कि स्वामी रामानंद महाराज बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के धनी थे। जिन्होंने अल्पायु में ही शास्त्रों पुराणों का अध्ययन कर महारत हासिल की। स्वामी रामानंद पहले आचार्य थे जिन्होंने सबसे पहले उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया। इसीलिए उन्हें मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना गया है। बाबा हठयोगी दिगंबर ने कहा कि स्वामी रामानंद महाराज ने समाज में उपजी कुरीतियों, छुआछूत, ऊंच नीच और जात पात की भावना का विरोध किया और जाति पाति के भेद को मिटा कर क्रांति को आरंभ किया। आवाहन अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत सत्य गिरी महाराज ने कहा कि स्वामी रामानंद महाराज ने सभी को राम मंत्र देकर भक्ति का द्वार खोला। वर्ण और जाति के नियम को शिथिल कर सर्वसाधारण को एकता के सूत्र में बांधा। राष्ट्र निर्माण में उनके अहम योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्रीमहंत मनमोहन गिरी महाराज ने कहा कि स्वामी रामानंद महाराज ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को आदर्श मानकर राम भक्ति मार्ग का निर्देशन किया। उन्हीं के आदर्शों का अनुसरण करते हुए सभी को धर्म के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि संत महापुरूषों से ही भारत की विश्व में एक अलग पहचान है। संत महापुरूषों के आशीर्वाद से कुंभ मेला सकुशल भव्य रूप से संपन्न होगा।
इस दौरान श्रीमहंत रविन्द्रपुरी, म.म.स्वामी हरिचेतनानंद, श्रीमहंत किशनदास, श्रीमहंत मोहनदास, महंत अरूणदास, महंत प्रेमदास, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत रामकिशन दास, स्वामी ऋषि रामकिशन, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत मोहनसिंह, महंत तीरथ सिंह, स्वामी ललितानंद गिरी, महंत प्रहलाद दास, महंत दुर्गादास, महंत कमलदास, महंत लोकेशदास, महंत अगस्त दास, महंत सुमितदास, महंत सूरजदास, स्वामी शिवानंद, महंत श्यामप्रकाश आदि सहित सैकड़ों संत मौजूद रहे।
दूसरी ओर स्वास्थ्य खराब होने के चलते कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पाए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने दूरभाष पर सभी को रामानंदाचार्य जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि समाज को नई दिशा प्रदान करने वाले स्वामी रामानंदाचार्य महाराज के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए सभी को राष्ट्र उत्थान में सहयोग करना चाहिए।