हरिद्वार, 20 जून। विवादित संवादों और पात्रों के चित्रण को लेकर विवादों में घिरी फिल्म आदिपुरूष को लेकर संत समाज का रोष कम होने का नाम नहीं ले रहा है। संत समाज ने फिल्म पर बैन लगाने के साथ फिल्मों के माध्यम से सनातन धर्म संस्कृति पर किए जा रहे कुठाराघात को रोकने के लिए सनातन सेंसर बोर्ड बनाने की मांग की है। निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत दर्शन भारती महाराज ने कहा कि सनातन धर्म पर बनने वाली फिल्मों और धारावाहिकों की निगरानी के लिए सनातन सेंसर बोर्ड का गठन किया जाए और अखाड़ा परिषद अध्यक्ष को बोर्ड का अध्यक्ष व सदस्यों के रूप में संतों को नियुक्त किया जाए। जिससे सनातन परंपरांओं को बदनाम करने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके। महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि आदिपुरुष हिंदू संस्कृति के खिलाफ है। फिल्म में रावण को चमगादड़ पर बैठा हुआ दिखाया गया है। जबकि ऐसा किसी भी शास्त्र में नहीं लिखा है। भगवान राम के चरित्र के साथ भी फिल्म में छेड़छाड़ की गई है। फिल्म के माध्यम से रामायण को गलत तरीके से दिखाए जाने का केंद्र सरकार को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म को प्रसारण को अनुमति कैसे दी। साथ ही फिल्म के निर्माता निर्देशक के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। आदियोगी महापीठ के परमाध्यक्ष स्वामी आदियोगी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म का मजाक उड़ाने की प्रवृत्ति को सहन नहीं किया जाएगा। इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार को कड़ा कानून बनाना चाहिए। आदिपुरूष में रामायण का गलत चित्रण किए जाने से समस्त सनातन जगत आहत है। इसे देखते हुए संतों की देखरेख में सनातन सेंसर बोर्ड का गठन अति आवश्यक हो गया है। सरकार को इस संबंध में तत्काल कदम उठाने चाहिए।