हरिद्वार समाचार– निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने बताया कि उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अवंतकनंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी एवं बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी को विधि विधान के साथ अग्नि अखाड़े की परंपरा के अनुसार अग्नि अखाड़े द्वारा दीक्षित किए गए। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि निरंजन पीठाधीश्वर के रूप में देश दुनिया में सनातन धर्म की पताका को फहराएंगे। उनके उत्तराधिकारी के रूप में तीनों शिष्य उनके अधूरे कार्यो को पूरा करते हुए राष्ट्र कल्याण में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।
श्री दक्षिण काली मंदिर में पत्रकारों को जानकारी देते हुए आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि आह्वान, जूना, अग्नि के संत महापुरूषों की सर्वसम्मति से तीनों शिष्यों को अग्नि अखाड़े द्वारा दीक्षा प्रदान की गयी है। उनके उत्तराधिकारी के रूप में एक शिष्य श्री दक्षिण काली मंदिर व अन्य दो शिष्य अन्य आश्रमों की व्यवस्था को संभालेंगे। उन्होंने तीनों शिष्यों को शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी महाराज ने कहा कि संत परंपरा से पूरी दुनिया में भारत की विशेष पहचान है। युवा पीढ़ी को वरिष्ठ संतों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र कल्याण व धर्म के संरक्षण संवर्द्धन में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी व श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि संतों की युवा पीढ़ी देश की दिशा व दशा बदलने में अहम भूमिका निभाएगी। आज के दौर में मठ मंदिरों में युवा संतों की आवश्यकता है। आशा है कि स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के तीनों कृपापात्र शिष्य सनातन धर्म की पताका को पूरे विश्व में फहराएंगे। श्री पंच अग्नि अखाड़े के सभापति मुक्तानंद बापू ने कहा कि स्वामी कैलाशानंद गिरी निरंजन पीठाधीश्वर के रूप में देश दुनिया में सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति की पताका हो फहराएंगे। उनके तीनों शिष्य अग्नि अखाड़े की पंरपरांओं का निर्वहन करते हुए संतों की सेवा व राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान प्रदान करेंगे। श्री पंच अग्नि अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत साधनानंद महाराज ने तीनों नवनियुक्त शिष्यों को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि गुरू शिष्य परंपरा से ही भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की पहचान है। योग्य गुरू को ही योग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। आशा है कि स्वामी कैलाशानंद के तीनों शिष्य संत परंपरा को गौरवान्वित करेंगे। अवंतकेेनंद ब्रह्मचारी, स्वामी कृष्णानंद ब्रह्मचारी एवं बालमुकंुदानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गयी है। संत परंपराओं के अनुरूप पूरी निष्ठा से उसका पालन करते हुए अखाड़े की परंपरांओं को आगे बढ़ाया जाएगा। इस अवसर पर हरियाणा के विधायक मुनीष पांडे, महंत लखनगिरी, महंत ओमकार गिरी, महंत मनीष भारती, महंत राधे गिरी, महंत गंगा गिरी, स्वामी सोमेश्वरानन्द ब्रह्मचारी महाराज, स्वामी राधाकांताचार्य, लालबाबा, पंडित प्रमोद पाण्डे आदि मौजूद रहे।